आज हमारे समाज में दहेज प्रथा एक अभिशाप ही नहीं बल्कि वह समाज की सभी प्रकार की बुराइयों की जननी भी मानी जाती है। दहेज वास्तव में देखा जाए तो यह बहुत ही भयानक और अनैतिक प्रथा है, जो आते ही नहीं बल्कि प्राचीन समय से चली आ रही है। आज के समय में दहेज शादी समारोह का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।
अगर यह कहे कि दहेज प्रथा केवल अनपढ़ या अशिक्षित लोगों के लिए ही बहुत आम बात है,लेकिन यह बिल्कुल गलत है, क्योंकि इस समाज में ऐसे पढ़े-लिखे लोग भी होते हैं जो दहेज लेना सम्मान की बात समझते हैं। दहेज आज एक बहुत बड़ी सामाजिक बुराई बन गई है। इसने समाज के सभी लोगों को बहुत बुरी तरह से प्रभावित कर रखा है,और यह कहीं ना कहीं हर इंसान के सामाजिक और आर्थिक पतन का कारण भी बन चुकी है।
दहेज प्रथा कई बुराइयों का मार्ग माना जाता है, लेकिन लोग इसको खुशी-खुशी अपना रहे हैं, आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से दहेज प्रथा एक अभिशाप है, इसके जानकारी देने जा रहे हैं, दहेज प्रथा के कारण दहेज प्रथा को रोकने के उपाय इन सभी बातों के बारे में आज इस आर्टिकल के माध्यम से बताने जा रहे है…

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प्रस्तावना
आज कल आपने अक्सर न्यूज़ चैनल या अखबार के माध्यम से दहेज मृत्यु के समाचार अवश्य देखने को यह सुनने को मिले होंगे, कहने को तो आज हमारा देश बहुत ही प्रगति पर है, लेकिन आज भी अगर देखें तो हमारा समाज वही पुराने रीति-रिवाजों पर चलता जा रहा है। भारत की आजादी के बाद में भी आज समाज में बहुत ही अनेक कुरु प्रथाएं हैं। जिनकी वजह से लड़कियों को बलि का शिकार बनना पड़ता है। भारत में होने वाली शादियों में उपहार के स्वरुप दुल्हन को कुछ गिफ्ट कीमती चीजें आदि दी जाती हैं। उन सभी को उपहार ना समझते आज सब की गिनती एक दहेज के रूप में शामिल की जा रही है।
दहेज प्रथा का इतिहास
आज हमारे भारतीय समाज में अनेकों कुप्रथाएं प्रचलित हैं जिनमें से दहेज प्रथा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। पहले दहेज प्रथा के प्रचलन में भेट के स्वरूप बेटी को उसके विवाह के समय में कुछ उपहार स्वरूप दिया जाता था, लेकिन आज यह एक बहुत बड़ी बुराई का कारण बनती जा रही है। दहेज के अभाव में सुयोग लडक़ी को बहुत गलत लड़कों के द्वारा सौंप दी जाती थी ओर आज भी ऐसा ही करते हैं।
लोग धन लेकर लड़कियों को खरीद लेते थे। ऐसी स्थिति मैं पारिवारिक जीवन लड़की का बिल्कुल भी अच्छा नहीं बन पाता था। गरीब परिवार के माता-पिता अपनी बेटियों का विवाह इसलिए नहीं कर पाते थे, क्योंकि समाज में जो दहेज लोभी व्यक्ति हैं। वह उस लड़के से विवाह करना पसंद करते थे, जो अधिक से अधिक संख्या में दहेज लेकर आए उनके घर मे आये।
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दहेज के लिए नववधुओं पर अत्याचार
आज के समय में अगर किसी भी नववधू के साथ में अगर उसके माता-पिता ने दहेज ना दिया तो उसको बहुत सी प्रताड़नाओं का सामना करना पड़ता है, शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी जाती हैं। दहेज के लालच में ऐसे ऐसे माता-पिता होते हैं जो अपने पुत्र का दूसरा विवाह भी करवा देते हैं और पुत्रवधू को विश देकर जलाकर मार भी डालते हैं अधिकांश केस में यही देखने को मिलता है कि दहेज के लालच में लड़की को जान से हाथ धोने पड़ते हैं।
दहेज ना देने की वजह से आज बहुत सी जगह तो बारात भी वापस लौट जाती है। दहेज का इंतजाम ना होने से कभी-कभी तो कन्या के पिता को भी आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया जाता है।
दहेज प्रथा का समाधान
दहेज प्रथा का सबसे बड़ा समाधान आज हमारे देश में दहेज लेने वालों के खिलाफ बहुत सख्त से सख्त कानून बनाए गए हैं। इन सभी में महिलाओं की भागीदारी प्रमुख पानी जाती है क्योंकि दहेज के कारण महिलाओं की भी बलि चढ़ा दी जाती है, इसीलिए समाज के हर व्यक्ति की सोच बदलने के लिए महिलाओं को जागरूक करना बहुत जरूरी होता है, आइए जानते हैं दहेज प्रथा के समाधान…
1. लड़कियों का शिक्षित होना
दहेज प्रथा जाति भेदभाव और बाल श्रम जैसे सामाजिक प्रथाओं के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार कहीं ना कहीं माता-पिता होते हैं, और उनकी कम शिक्षा या ऐसे क्षित होना भी माना जाता है। देश में शिक्षा की कमी होने के कारण आज हमारे समाज में दहेज प्रथा जैसी सामाजिक प्रथाओं को बहुत अधिक बढ़ावा मिल रहा है, इसीलिए आज सरकार के द्वारा शिक्षा पर बहुत अधिक जोर दिया जा रहा है, ताकि शिक्षित होंगे तभी समाज की सोच बदल सकेंगे।
2. महिला सशक्तिकरण
जब भी कोई माता पिता अपनी बेटी के विवाह के बारे में सोचें तो ऐसे में वह दहेज पर पैसा खर्च ना कर के बेटे को पढ़ा लिखाकर योग्य बनाकर ही शादी करें, ताकि वह खुद पर निर्भर रहना सीख जाए। अगर कोई महिला शादी से पहले काम करती है,और उसको आगे भी काम करने की इच्छा है तो विवाह के बाद उसको काम करना चाहिए। इस तरह की पहले से ही लड़की के ससुराल वालों से बात कर ले महिलाओं को अपने अधिकारों और किस तरह से खुद के दुरुपयोग होने से बचाव कर सकती हैं इस सभी के बारे में जानकारी होना जरूरी चाहिए।
3. लड़का लड़की एक समान
आज हमारे समाज में अगर सभी लोग इस सोच को लेकर आगे बढ़ेंगे कि लड़का लड़की एक समान होता है, तो आज हमारा देश बहुत तरक्की पर पहुंच जाएगा क्योंकि कहीं ना कहीं देखा है, आज भी पढ़े लिखे लोग इस चीज को मानते हैं कि बेटा बेटी एक समान नहीं होते हैं लेकिन उन सभी से पूछा जाए कि आज लड़कियां किस क्षेत्र में पीछे हैं।
आज लड़कियां भी लड़कों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, इसीलिए समाज में लड़का लड़की के एक समान सोच सभी लोगों की होनी चाहिए। इन सब के लिए शुरूआत कम उम्र के छोटे-छोटे बच्चों से ही कर देनी चाहिए। उन लोगों में कभी भी इस तरह का भेदभाव नहीं करना चाहिए, ताकि बड़े होकर किसी भी बुराई का सामना करना पड़े। बच्चों को हमेशा सीखाते रहना चाहिए कि बेटा बेटी एक समान होते हैं।
Conclusion
आज हमने इस आर्टिकल के द्वारा आप को दहेज प्रथा एक अभिशाप है कि बारे में बताया है। जैसा कि आप सब जानते हैं, दहेज लेना एक दंडनीय अपराध होता है। इसीलिए इस तरह के मामलों के खिलाफ हमेशा आप कहीं भी देखते हैं तो उसके लिए शिकायत दर्ज करवानी चाहिए, और सबसे अधिक जिम्मेदारी दहेज प्रथा को समाप्त करने की युवा वर्ग के लोगों को लेनी चाहिए। उम्मीद है आपको हमारे द्वारा लिखी हुई यह सभी बातें पसंद आई होगी। अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई तो इसको लाइक शेयर जरूर कीजिए, और कमेंट करके कमेंट सेक्शन में भी बता सकते हैं।
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