ईद का त्यौहार मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र धार्मिक त्योहार माना जाता है। यह त्योहार रमजान के पवित्र महीने में आता है। इसमें सभी मुसलमान लोग उपवास भी रखते हैं और 30 दिन तक यह त्यौहार चलता है। उसके बाद इसके वार को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। ईद के दिन सभी मुसलमान मस्जिद में एक साथ नमाज पढ़ते हैं, और अल्लाह से सबकी सलामती के लिए दुआ भी करते हैं।
स्कूलों में बच्चों को अक्सर आपने देखा होगा कि ईद पर निबंध लिखने के लिए दिया जाता है, ऐसे में अगर निबंध लिखना है, पढ़ना नहीं आए तो आपके लिए बहुत गलत साबित हो सकता है। आज हम आपको इस आर्टिकल के द्वारा ईद पर निबंध के बेस्ट आईडिया बताने वाले हैं। जिसकी मदद से आप आसानी से ईद पर निबंध लिख सकते हो, आज हम इस पोस्ट से ईद के निबंध की पूरी जानकारी विस्तार से बताने जा रहे हैं…
ईद पर निबंध हिंदी में
प्रस्तावना
जैसा की आप सभी को पता है कि ईद मुसलमानों का सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण त्यौहार होता है। ईद के त्यौहार को ईद- उल- फितर के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार रमजान के महीने में पड़ता है रमजान के महीने में बड़ी त्याग तपस्या और उपवास के बाद में 30 दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार का तीसरे दिन समापन ईद के रूप में ही किया जाता है।
यह त्यौहार प्रेम और भाईचारे की भावना को उत्पन्न करने वाला मुसलमानों का बहुत बड़ा त्यौहार है। चारों तरफ सभी के चेहरे पर अलग ही ईद के मौके पर खुशी दिखाई देती है। मुसलमान लोग ईद का त्यौहार मना कर अपने आप को बहुत सौभाग्यशाली समझते हैं।
ईद मनाने की शुरुआत का कारण
इस्लाम धर्म के प्रवर्तक मोहम्मद पैगंबर साहब का जन्म 527 में अरब में हुआ। इनके जन्म के बाद इनके माता-पिता का स्वर्गवास हो गया। इनका पालन-पोषण इनके चाचा अबू तालिब ने किया था। उसके बाद इनका बीमा निगम खदीजा के साथ में हो गया, लेकिन उन्होंने 40 साल की उम्र में सभी सांसारिक भोगों को त्याग कर सन्यास जीवन ग्रहण कर लिया।
उसके बाद मोहम्मद साहब ने अपने महान कार्यों से मुस्लिम जाति का मार्गदर्शन किया या ये कहा जा सकता है कि मोहम्मद पैगंबर साहब मुस्लिम जाति के मार्गदर्शक भी रहे। मुसलमान धर्म का सबसे पवित्र ग्रंथ कुरान माना जाता है। इस्लाम धर्म के सभी अनुयायी ईद के पर्व पर कुरान शरीफ की वर्षगांठ के रूप में मनाते हैं।
ईद के त्यौहार की तैयारी
ईद के त्यौहार की तैयारी 1 महीने के लिए की जाती है। इस पवित्र पाक महीने को रमजान का महीना कहा जाता है। ईद का उत्सव मनाने के लिए मुस्लिम लोग पूरे 1 महीने तक साधना, आराधना,उपवास रोजे रखते हैं। ईद पर 24 घंटे में सभी मुसलमान पांच नमाज अदा करते हैं। सूर्य उदय होने के पहले ही भोजन करते हैं, उसको शैरी कहा जाता है। उसके बाद इनका सारा समय खुदा की आराधना में ही व्यतीत होता है। मस्जिद में जाकर सभी मुसलमान खुदा की इबादत करते हैं। पूरे 1 महीने के इस त्योहार को पूरे 30 दिन होने के बाद में इबादत के बाद ईद का पावन त्योहार सभी के द्वारा मनाया जाता है।
कैसे मानते हैं ईद
ईद के त्यौहार पर पूरे देश में सार्वजनिक अवकाश रहता है ईद के दिन सभी स्कूल, कॉलेज, ऑफिस, कारखाने बंद रहते हैं। ईद के त्यौहार पर बड़े-बड़े मेलों का भी आयोजन किया जाता है। ईद के 1 दिन पहले सभी मुसलमान लोग ईद का चांद देखते हैं। उसके बाद एक दूसरे को बधाइयां देते हैं। दूसरे दिन ईद का त्यौहार मनाया जाता है। वैसे ईद का त्यौहार चांद देखने के बाद ही मनाया जाता है।
सुबह होते ही सभी स्त्री-पुरुष, बालक नए नए कपड़े पहन कर किसी भी मस्जिद या ईदगाह में जाकर नमाज पढ़ने के लिए एक साथ सम्मिलित होकर पढ़ते हैं। नमाज पढ़ने के बाद में सभी एक दूसरे के गले मिलते हैं, और ईद की बधाई देते हैं। सभी के घरों में ईद के दिन अच्छे-अच्छे पकवान बनते हैं। सेवइयां की खीर बनाई जाती हैं और एक दूसरे के घर जाकर भी ईद की बधाई देते हैं। एक दूसरे के घर पर सेवाओं का प्रसाद भेजा जाता है। जो कि परस्पर प्यार प्रेम का प्रतीक माना जाता है।
ईद का त्योहार मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है।
1. मीठी ईद मीठी ईद का त्योहार 30 दिन के लिए रमजान के पवित्र महीने में आता है। 30 दिन पूरे होने के बाद में मीठी ईद के रूप में ईद मनाते हैं। इस दिन लोग सुबह प्रातः कालीन नमाज के बाद नए नए कपड़े पहनकर घर में सभी प्रकार के मीठे पकवान बनाकर एक दूसरे को बधाई देते हैं, और प्रसाद के रूप में सभी के घर सेवइयां की बनी खीर पहुंचाई जाती है। मीठी ईद के त्यौहार पर सेवइयां की खीर जरूर बनाई जाती है। मीठी ईद को ईद उल फितर भी कहा जाता है।
2. बकरा ईद
बकरा ईद का त्योहार मीठी ईद के 70 दिन बाद में मनाया जाता है। यह त्योहार इन के लिए कुर्बानी का दिन होता है। ईद के त्यौहार पर यह किसी पशु की बलि देकर इस त्यौहार को शुभ मानते हैं। इस्लाम धर्म के मान्यता के अनुसार इब्राहिम नाम के एक पैगंबर एक कुर्बानी देने के लिए भगवान के दूत के आदेश पर अपने पुत्र को ही ले गए थे। जब ये कुर्बानी दे रहे थे, उस समय भगवान ने उनका हाथ रोककर पैगंबर के पुत्र के स्थान पर एक बकरे की बलि दी गई। तभी से लेकर यह कुर्बानी की प्रथा चली आ रही है।इस त्योहार को ईद उल जुहा भी कहा जाता है।
Conclusion
आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से ईद पर निबंध कैसे लिखते हैं, इसके बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हमारे द्वारा दी गई सभी जानकारी पसंद आई होगी। आपको अगर और जानकारी चाहिए तो आप हमारी वेबसाइट से जुड़े रह सकते हैं और पोस्ट अच्छी लगी तो कमेंट करके बता सकते हैं।