Eassy on my mother मेरी माँ पर निबंध

मां शब्द का कोई मोल नहीं है क्योंकि मां अमूल्य है। मां शब्द को परिभाषित करना बहुत मुश्किल काम है। मां अनेक शारीरिक पीड़ा के बाद में अपने बच्चे को जन्म देती है इसीलिए मां को भगवान के समान ही दर्जा दिया गया है। भगवान के द्वारा भी पूरी सृष्टि की रचना मां के सहयोग से ही हुई है। मां अपने बच्चे को जन्म देने के बाद में सभी प्रकार की शारीरिक पीड़ाओं को भूलकर भी अपने बच्चे का पालन पोषण करती हैं।

मां और बच्चे के जीवन का वह महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, जिसके द्वारा बच्चा अपनी कल्पना भी नहीं कर सकता है, क्योंकि बच्चे की पहली गुरु, पहली शिक्षक, एक सच्ची दोस्त, व सही राह दिखाने वाली मां ही होती है। मां दुनिया में सबसे अधिक लाड प्यार केवल न केवल अपने बच्चे से करती है, जब बच्चा उसका गलत रास्ते पर चलने लग जाता है तो मां उसको अपने कर्तव्य से उसको सही राह दिखाती है।

कोई भी मां इस दुनिया में ऐसी नहीं है जो अपने बच्चे को गलत राह दिखाएं, किसी गलत संगत में पड़ कर उनका भविष्य खराब करें, मां हमेशा से ही अपने बच्चे की परवाह करती आई है। आज हम इस आर्टिकल के द्वारा मेरी मां पर निबंध लिखने जा रहे हैं…

Eassy on my mother मेरी माँ पर निबंध

प्रस्तावना

मां हर बच्चे के जीवन में सूर्य के प्रकाश की तरह होती है और ओजोन परत की तरह हर बच्चे की बच्चे के जीवन में आने वाली हर मुसीबत से रक्षा करती है। जिस तरह से हमारे वायुमंडल में हानिकारक गिरने हानिकारक गैसों के बचाव से ओजोन परत की वजह से हमारी रक्षा होती है। उसी तरह से मां हर बच्चे को बचाती है।

मां अपनी समस्याओं को खत्म करके पहले अपने बच्चे की समस्या को सुनती है और उसको खत्म करने का प्रयास करती हैं। आज हमारे देश में मां की मूरत को सम्मान देने के लिए वैसे तो साल के 12 महीने भी मां के लिए बहुत कम होते हैं, लेकिन मई के महीने में दूसरे रविवार को मदर्स डे के रूप में मनाते हैं। यह दिन हर मां के लिए समर्पित और पूजनीय होता है।

माँ भगवान का स्वरूप 

आज इस संसार में मां को भगवान के समान माना जाता है क्योंकि एक बच्चे को जन्म देने के बाद मां का दूसरा जन्म होता है। जन्म देने पर मां असहनीय दर्द को सहती है ओर जिन कष्टों का सामना करती है, शायद उसको कोई बयां नहीं कर सकता ना, उसको शब्दों में बयां किया जा भी नही सकता है।

ऐसा माना जाता है कि जिस तरह हर जगह भगवान होता है,इसीलिए शायद भगवान ने मां को सभी के लिए बनाया है, इसीलिए आज इस धरती पर मां के स्वरूप में ही पूज्यनीय माना जाता है। मां अपने बच्चों के सभी दुख को सह लेती है और हमेशा अपने बच्चों पर प्यार और संरक्षण लूटा देती है। हमारे शास्त्रों में भी मां को देवी के समान ही पूज्य माना गया है।

माँ का जीवन मे महत्व

बच्चों के जीवन की हर राह में मां का बहुत बड़ा सहयोग व आशीर्वाद होता है। मां के बिना कोई अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है। अगर मां नहीं होती तो आज इस धरती पर हर व्यक्ति का अस्तित्व नहीं होता। खुशी हो या गम हो हर चीज में मां हमेशा आगे आ जाती है। मां की खुशी अपने बच्चों के लिए सबसे पहले मायने रखती है इस दुनिया में मां का प्यार निस्वार्थ होता है। उसमें कोई लालच छल कपट भेदभाव नहीं होता है। एक मां के अगर चार बच्चे हैं या दो बच्चे हैं वह सब को एक समान प्यार करती हैं।

कहते हैं माता कभी कुमाता नहीं होती है लेकिन 1 पुत्र कुपुत्र हो सकता हैं। जीवन की हर खुशी में सबसे पहले मां वह अपने बच्चों के साथ में होती है। अपने बच्चों पर कभी भी वह किसी तरह की कोई आंच नहीं आने देती है। एक मां ही वह इंसान होती है जो रात रात भर जाकर अपने बच्चों की बीमारियों के लिए जागती है खुद गीले में सोकर अपने बच्चों को सूखे में सुलाती है और उनको जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है इसलिए मां के महत्व का वर्णन करना असंभव है।

मां का रिश्ता

एक औरत के कहते हैं उसके जीवन में अनेक स्वरूप होते हैं वह एक अच्छी बहु, अच्छी बेटी, पत्नी, मां,मौसी,नानी, दादी न जाने कितने अनगिनत रिश्तो को वह बहुत अच्छे से निभाती है। हर रिश्तो में एक औरत अपने फर्ज को बहुत अच्छे से निभाती है।  इन सभी रिश्तो के अंदर जो सम्मान और आदर एक मां को मिलता है उसको शायद हम शब्दों में नहीं कह सकते हैं।

मां अपने जीवन में किसी भी प्रकार के कष्ट के लिए शायद ना अपने बच्चों को, ना अपने घर परिवार को किसी को नहीं कहती है, लेकिन हर परेशानी में अपने बच्चों के अपने परिवार के साथ खड़ी रहती है। मां अपने बच्चों से बेहद प्यार करती है। शायद भगवान ने मां के शुरू को इसी लिए बनाया है क्योंकि भगवान को हम देख नहीं सकते लेकिन मां को हम साक्षात भगवान के रूप में देख सकते हैं।

मां प्रेरणा के रूप में

आज हर इंसान के पीछे कहते हैं कि एक औरत का हाथ होता है। उसकी कामयाबी से लेकर उसको बनाने में, उस को जन्म देने में हर जगह पर एक औरत का ही हाथ होता है। ऐसे में इंसान को अपने जीवन में किसी ना किसी से तो प्रेरणा मिलती है, लेकिन मां एक ऐसा इंसान है जो हर बच्चे के जीवन में निस्वार्थ बिना किसी स्वार्थ के अपने बच्चे को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।

कहते हैं बच्चे की पहली गुरु सिर्फ और सिर्फ मां होती है। मां न केवल शिक्षा ही देती और ना सही गलत का पाठ पढ़ाती है। बल्कि बच्चे का भविष्य बनवाने में मां का ही हाथ होता है। मां अपने बच्चों के विश्वास को हमेशा बना कर रखती है और हमेशा उनको अपने लक्ष्य के करीब पहुंचने में पूरा सहयोग देती है।

Conclusion

आज हमने एक आर्टिकल के द्वारा आपको मां पर निबंध लिखकर बताया है। उम्मीद है यह पोस्ट आपको पसंद आया होगी। अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई तो हमारे कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करके आप बता सकते हैं