15 Geeta par updesh? 15 गीता पर उपदेश

अक्सर हमने अपने बचपन से लेकर आज तक सुनते आ रहे हैं भगवान श्री कृष्ण के द्वारा दिए गए उपदेश श्रीमद्भगवद्गीता के बारे में आज इस महान ग्रंथ के बारे में कौन नहीं जानता है भगवत गीता में हमारे जीवन का पूरा सार छिपा हुआ है भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन को कुछ उपदेश दिए थे जिसके द्वारा अर्जुन का हृदय परिवर्तन हो गया और उसके लिए युद्ध जीतना बहुत आसान हो गया भगवान श्री कृष्ण के द्वारा दिए गए उपदेशों को हम अपनी जिंदगी में शामिल करके अपनी जिंदगी को बहुत आसान बना सकते हैं।

भगवत गीता का उपदेश मानव जाति के लिए एक सूर्य के समान है जो कि एक अज्ञान रूपी अंधकार से हर मनुष्य को मुक्ति प्रदान करवाता है। मानव जाति के लिए गीता के उपदेशों की उपयोगिता और सार्थकता हमेशा ही महत्वपूर्ण मानी जाएगी आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण के द्वारा कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को दिए गए श्रीमद्भगवद्गीता के कुछ उपदेश के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं…

Geeta par updesh गीता पर उपदेश

गीता उपदेश क्या है?

हमारे हिंदू धर्म में श्रीमद्भगवद्गीता को सबसे प्रमुख ग्रंथ माना गया है यह गीता उपदेश ईश्वर का वह परम सत्य है जिसको अपना कर हम सभी व्यक्तियों के जीवन में दुख कलेश नहीं होते हैं देखती दुख कलेश से मुक्त होकर सफल सुखद जीवन गीता उपदेश के द्वारा बना सकता है गीता उपदेश में उन सभी बातों के बारे में वर्णन किया गया है जो हर इंसान की जिंदगी से जुड़े हुए हैं आज हर इंसान को गीता के ज्ञान की जरूरत पड़ रही है.

मनुष्य का संघर्ष जितना बाहर से होता है उतना ही उसका संघर्ष अंदर से भी चलता रहता है सोच और कर्म का संतुलन सफल जीवन का मंत्र माना जाता है सही गलत उचित निर्णय की दुविधा में फंसे व्यक्ति को हमेशा श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश स्मरण रखना चाहिए इससे मानसिक शांति और धैर्य की प्राप्ति होती है। श्रीमद्भागवत गीता में 18 अध्यायों का वर्णन देखने को मिलता है इसके अंदर कुल 720 श्लोक लिखे गए हैं हमारे हिंदू धर्म में श्रीमद्भागवत गीता को सर्वोपरि माना गया। भगवत गीता के सभी श्लोक संस्कृत में लिखे गए हैं लेकिन बड़े-बड़े विद्वानों के द्वारा इसका सार हिंदी में आज देखने को पढ़ने को मिलता है।

धर्म की रक्षा के लिए लिया अवतार

यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः

अभ्युत्थानम अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्

भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में जब महाभारत का युद्ध हुआ था तो अर्जुन को उपदेश देते समय कहा कि है अर्जुन जब जब इस धरती पर धर्म की हानि होती रहेगी तब तब मुझे इस धरती पर अवतार लेना पड़ेगा। अर्थात जब पृथ्वी पर पाप दोष अत्याचार चारों तरफ अशांति दुष्कर्म जैसा माहौल होगा तब भगवान किसी न किसी रूप में जन्म लेकर इन सभी चीजों का नाश करेंगे। अगर इतिहास उठा कर देखा जाए तो जब जब इस धरती पर हर युग में अत्याचार अपनी चरम सीमा पर पहुंच गए तब तक भगवान ने अपना अवतार लेकर उन सभी का नाश किया है।

श्रीमद भगवत गीता का उपदेश सार

भगवान श्री कृष्ण के द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश के मुख्य सार..

1. हे अर्जुन इस संसार में या इस रणभूमि मे जो तुम्हारे साथ हुआ वह अच्छा ही हुआ ओर जो होगा वह भी अच्छा ही होगा।

2. हे अर्जुन इस जीवन मे तुम्हारा क्या गया था जो तुम रोते हो, तुम क्या लेकर आये थे जो तुमने खो दिया, तुमने क्या पैदा किया था जो सभी नष्ट हो गया, तुमने जो लिया यही धरती से लिया है।ओर जो दिया इस धरती को ही दिया है। जो आज तुम्हारा है,कल किसी और का होगा। क्यो तुम इसे अपना समझकर इतना खुश हो रहे हो। परिवर्तन इस संसार का मुख्य नियम है, जिसको कोई भी नहीं बदल सकता है।

3. हे अर्जुन जीवन का सार ना तो भूत में होता है, ना भविष्य में है, जो भी सार है वो इस पल में ही होता है।

4. जन्म लेने वालों के लिए मृत्यु उतनी निश्चित नहीं होती है जितना कि मरने वालों के लिए जन्म लेना होता है इसीलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक कभी नहीं करना चाहिए।

5. कोई भी मनुष्य जो चाहे वह बन सकता है अगर वह मनुष्य एक निश्चित विश्वास के साथ किसी एक वस्तु पर ही मन लगा कर लगातार चिंतन करता रहे।

6. भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि मैं सभी प्राणियों को एक सम्मान स्वरूप से देखता हूं मेरे लिए कोई भी व्यक्ति ना ज्यादा प्रिय है ना कम प्रिय है। लेकिन जो मनुष्य मेरी प्रेम व श्रद्धा पूर्वक आराधना करते हैं और सभी मनुष्य मेरे भीतर हैं। मैं हमेशा उनके जीवन में आता ही हूं।

7. मनुष्य खुद पहले अपने विश्वास से ही बना हुआ होता है। फिर वह चाहे जैसा इंसान बन सकता है।

8. हर मनुष्य को फल की अभिलाषा को छोड़कर अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए तभी वह अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।

9. हे पार्थ क्रोध हमेशा धर्म से पैदा होता है, धर्म से बुद्धि नाश होती है जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है तो इससे व्यक्ति का पतन निश्चित रूप से होता है।

10. हे पार्थ इस संसार मे तेरा मेरा, छोटा बड़ा, अपना पराया इन सभी को अपने मन से मिटा दो, अपने मन से इनके विचार हटा दो, फिर यह सब तुम्हारे ही होंगे।

11. इतिहास के द्वारा कहा जाता है,कि कल सुख था विज्ञान के द्वारा कहा जाता है कि कल सुख होगा,  लेकिन धर्म के अनुसार अगर व्यक्ति का मन सच्चा है और दिल अच्छा है तो आपको रोजाना ही सुख मिल जाएगा।

12. हे अर्जुन इस संसार मे समय से पहले और भाग्य से ज्यादा कभी किसी भी व्यक्ति को नहीं मिलता है।

13. जो होने वाला है,वह नही होकर ही रहता है और जो नहीं होने वाला है वह होकर रहता है। इस तरह का निश्चय अगर हर किसी इंसान की बुद्धि में होता है तो उसको किसी तरह की चिंता का सामना नहीं करना पड़ता।

14. अच्छे कर्म करने के बाद भी लोग हमेशा हर इंसान की बुराइयों को ही याद रखते हैं, इसलिए लोग क्या कहेंगे, इस पर ध्यान ना देने के बजाय अगर तुम अपना काम करते रहोगे तो सही होगा।

15. मानव कल्याण ही श्रीमद्भगवद्गीता का मुख्य उद्देश्य माना गया है, इसलिए मनुष्य को हमेशा अपने कर्तव्य का पालन करते रहना चाहिए मानव कल्याण को ही सबसे पहली प्राथमिकता देनी चाहिए।

Conclusion

आज हमने आपको इस आर्टिकल के द्वारा श्रीमद भगवत गीता के उपदेश के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको यह सब जानकारी पसंद आई होंगी। इसी तरह के अन्य जानकारियों के लिए आप हमारी वेबसाइट से जुड़े रह सकते हैं या कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करके भी बता सकते हैं।