ब्रांडेड और जेनेरिक मेडिसिन में प्रमुख दो अंतर होता है एकदम आसान शब्दों में ताकि सभी को समझ आ जाए ब्रांडेड दवाओं में और जेनेरिक मेडिसिन में सोल्ट तो एक ही है लेकिन उसके सोल्ट की कवालिटी का फर्क़ और दूसरा अंतर है कि ब्रांडेड दवा की गोली पर अगर 500 मिलीग्राम लिखा है तो उसमें दवा पूर्ण होगी पंरतु यदि जेनेरिक मेडिसिन की गोली पर 500 मिलीग्राम लिखा है तो उसमें 10-20% दवा कम हो सकती है यदि कोई छोटी कंपनी दवाईयां बनाती है यह यह उसकी टोलरेंस लिमिट कहलाती है.

ब्रांडेड की ब्रांडेड गोलियां इसलिए मंहगी होती है कयोंकि ब्रांड को रजिस्टर कराने एंव उस ब्रांड को बंद करके मार्केट करने की आवश्यकता पड़ती है और ऐसा करने में बहुत लागत लग जाता है इसलिए दवा कंपनिया यह सब लागत दवा की कीमत में जोडकर ग्राहक से वसूल लेतीं है पंरतु जेनेरिक मेडिसिन बडे पैमाने पर बनाई जाती है और इन्हें बनाते समय दवा की 20% मात्रा भी कम रखी जाती है इसे रजिस्टर कराने की प्रक्रिया भी आसानी से हो जाती है और इसे मार्केट करने की भी आवश्यकता नहीं होती है कयोंकि यह सीधे सीधे एक सबसीटयूट के तौर पर बेची जाती है अतः इसकी कीमत ब्रांडेड दवा से कम होती है.
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ब्रांडेड और जेनेरिक मेडिसिन में समझे अंतर
दवा | जेनेरिक/ टैबलेट | ब्रांडेड/ टैबलेट |
बी कोम्प्लेकस | 10 पैसे | 2-35 रुपए |
पैरासिटामाल 500 | 10 पैसे | 1.50 रुपए |
सेटिजीन | 20 पैसे | 5 रुपए |
सिप्रोफलोकसेसिन 500 | 1.50 रुपए | 7-12 रुपए |
यदि कोई अच्छी कंपनी दोनों दवा बनाती है तो एक ही साथ जेनेरिक मेडिसिन ब्रांडेड बनती है. 1 बैच में यदि 100000 टेबलेट का है तो 50000 जेनेरिक और 50000 ब्रांडेड में भी कन्वर्ट हो जाता है एक उपभोक्ता के तौर पर हमारे लिए कौन सी दवाईयां ज्यादा अच्छी है? उस कंपनी जिसको 40 साल हो गए हैं.
मार्केट में जो कंपनी मार्केट में काफी फैमस हो गई हो या जिसके बारे में आपको पता होगा जेनेरिक मेडिसिन बिना किसी पेटेंट के बनाई और सरकुलेट की जाती है हा जेनेरिक मेडिसिन के फोर्मुलेशन पर पेटेंट हो सकता है पंरतु उसके मैटिरियल पर पेटेंट नहीं किया जाता है इंटरनेशनल स्टैंडर्ड से बनी जेनेरिक मेडिसिन की कवालिटी ब्रांडेड दवाईयां के बराबर ही होती है सब कुछ लगभग एक जैसा ही होता है सिर्फ वह दवा जो बहुराष्ट्रीय बड़ी कंपनियों द्वारा बना कर बेची जाती है कयोंकि उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित होती है उन्हें जेनेरिक मेडिसिन कहते हैं.
ब्रांडेड और जेनेरिक मेडिसिन का गणित समझना बहुत आवश्यक है कयोंकि ब्रांडेड दवा के नाम पर दवाओं का दाम इतना महंगा कर दिया है कि आम आदमी की कमर टूट जाती है जिस जेनेरिक मेडिसिन की कीमत 20 पैसे है उसे ब्रांड का नाम देकर एक रुपए में बेचा जाता है इसका हिसाब लगाया जाए दाम में बेचा जा रहा है दवाओं की कंपनियों अपने मेडिकल रिप्रेज़ेंटेटिव्ज़ के द्वारा डॉक्टरों को अपनी ब्रांडेड दवा लिखने के लिए बहुत (खासे) लाभ देती है. इस पर आधारित डॉक्टरों को नजदीकी मेडिकल स्टोर को दवा की आपूर्ति होती है. ब्रांडेड दवा का प्रचार मेडिकल रिप्रेज़ेंटेटिव के द्वारा किया जाता है.
मेडिकल रिप्रेज़ेंटेटिव डॉक्टरों के पास जा कर दवाई को अच्छा बता कर तथा बीमारियों को दूर करने की शक्तियों का विवरण देते हैं और इसके साथ ही उन्हें बहुत सारे फ्री में सैंपल भी दिए जाते हैं जेनेरिक मेडिसिन कंपनी कम लाभ के वजह से मार्केट का खर्चा नही उठा पाती है और डॉक्टर के पास जाकर उस तरह से प्रचार नहीं कर पाती है जिस प्रकार ब्रांडेड कंपनिया करती है यही कारण है कि ब्राडेंड दवाईयां अपने ज्यादा प्रचार की वजह से ज्यादा मार्केटिंग कर के ज्यादा बिकती है यही वजह है कि डॉक्टर जेनेरिक मेडिसिन लिखते ही नहीं है
कोई भी ब्यक्ति इन ऑडर देकर किसी भी दवा को बनाकर कानूनों की लूप होल्स का फायदा लेकर इन्हें बेच सकता है और ऐसा होता भी है हमारे देश में ऐसी बहुत सैकड़ों में फर्जी दवा कंपनिया है जो ऐसे ही दवा बनाकर और अपना ब्रांड का नाम देकर कई डॉक्टरों के माध्यम से बेचती है और बदले में डॉक्टरों को कमीशन देतीं हैं.