हिंदी को राजभाषा का दर्जा कब दिया?

हिंदी को राजभाषा का दर्जा 14 सितंबर, 1949 को मिला और संविधान के भाग 17 में इससे जुड़ी महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए इस ऐतिहासिक महत्त्व की वजह से 1953 से राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के माध्यम से प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस का आयोजन किया जाता है।

हिंदी को प्रोत्साहन की दृष्टि से इस दिवस के आयोजन का महत्वपूर्ण स्थान है तो चले जाते हैं इससे जुड़ी अहम जानकारी हिंदी भारतीय गणराज्य की राजकीय और मध्य भारतीय की अहम भाषा है।

2001 की जनगणना के अनुसार करीब 25.79 करोड़ भारतीय हिंदी का इस्तेमाल भाषा के रूप में करते हैं जबकि करीब 42.20 करोड़ों लोग इसके 50 अधिक गोलियों में से एक उपयोगकर्ता है हिंदी की प्रमुख बोलि मैं अवधि, भोजपुरी, ब्रज भाषा, छत्तीसगढ़, गढ़वाली, कुमाऊंनी, हरियाणे, मागधी और मारवाड़ी भाषा शामिल है।

हिंदी को राजभाषा का दर्जा कब दिया?

हिंदी को प्रोत्साहन के लिये दिए जाते हैं पुरस्कार

हिंदी दिवस के मौके पर हिंदी को प्रोत्साहन के लिये बहुत सारे पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं जैसे- राजभाषा कीर्ति पुरस्कार राष्ट्रभाषा गौरव पुरस्कार कीर्ति पुरस्कार जहाँ ऐसे विभाग को दिया जाता है।

जिसे साल भर हिंदी में कार्य को बढ़ावा दिया गया वही राष्ट्रभाषा गौरव पुरस्कार तकनीक विज्ञान लेखन के लिए दिया जाता है।

इसके अतिरिक्त इस दिवस के अवसर पर देश भर के विद्यालय महाविध्यालय एवं विश्वविद्यालय में पुरस्कार वितरण, हिंदी कविता प्रतियोगिता, वाद विवाद प्रतियोगिता, निबंध लेखन आदि का आयोजन किया जाता है।

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हिंदी पर कैसे हावी हो गई अंग्रेजी

हिंदी पर कैसे हावी हो गई अंग्रेजी 28 जनवरी 1950 को जब हमारा संविधान लागू हुआ हिंदी सहित 14 भाषाओं को आधिकारिक भाषा के रूप में आठवीं सूची में शामिल किया गया 26 जनवरी 1965 को अंग्रेजी ही जगह हिंदी को पूरी तरह से देश की राजभाषा बनाना था।

इस बीच दक्षिण भारत हिंदी के खिलाफ़ हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए हिंदी विरोधी आंदोलन के बीच 1963 मैं राजभाषा अधिनियम पारित किया जिसने 1965 के बाद अंग्रेजी को आधिकारिक भाषा के रूप में प्रचलन से बाहर करने का फैसला बदलना पड़ा हिंदी के खिलाफ़ तमिलनाडु में हिंसक प्रदर्शन होने लगे लोगों ने आत्मदाह का प्रयास किया।

इससे पश्चात 1967 मैं राजभाषा अधिनियम में संशोधन किया गया इस संशोधन में तय हुआ कि गैर हिंदी भाषी राज्य का जब तक चाहे तब तक अंग्रेजी को देश की आधिकारिक भाषा के रूप में जरूरी माना जाए आज भी यही व्यवस्था लागू है।

राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी

हिंदी भाषा का इतिहास करीब 1 साल पुराना है यह लगभग 11 वी शताब्दी से ही राष्ट्रीय भाषा के रूप में प्रतिष्ठित रही है उस समय भले ही राजकीय कार्य संस्कृति ,फारसी, अंग्रेजी में होते रहे हों परन्तु पूरे राष्ट्र में आपसी संपर्क संवाद संचार विचार जीवन व्यवहार का माध्यम हिंदी ही हो रही है।

चाहे वह पत्रकारिता का, स्वाधीनता संग्राम का क्षेत्र क्यों न हों हर जगह हिंदी ही जनता के विचार विनियम का साधारण बनी है अतीत के महापुरुषों जैसे हरिश्चंद्र, स्वामी दयानन्द सरस्वती, महात्मा गाँधी जैसे ने राष्ट्रीय भाषा हिंदी के अधिकार से ही सम्पूर्ण राष्ट्र से संपर्क किया और सफलता हासिल की इसी की वजह से आजादी के बाद संविधान सभा के माध्यम से बहुमत से हिंदी को राजभाषा का दर्जा देने का निर्णय लिया गया।

हिंदी भाषा अपने लागतार विकास की वजह से स्वतंत्रता के बाद हिंदी भाषा भारत की राजभाषा घोषित की गई तथा उसका उपयोग कार्यालयों में होने लगा है एक राजभाषा का रूप विकसित हो गया राजभाषा ओके उस रुप को कहा जाता है जो राज़काज से प्रयुक्त की जाती है।

निष्कर्ष = आज की इस पोस्ट में हमने आपको बताया है कि हिंदी को राजभाषा का दर्जादर्जा कब दिया गया तथा हिंदी के प्रोत्साहन के लिए दिए जाते हैं पुरस्कार और हिंदी पर कैसे हावी हो गई अंग्रेजी तथा राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी उम्मीद है अब पोस्ट आपको पसंद आई होंगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर जरूर करें।