IPC 498A in hindi आईपीसी धारा 498A क्या है|

आज हम आपको भारतीय कानून की उस धारा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके विषय में जानकारी लेना हम सभी के लिए बहुत जरूरी है।भारतीय दंड संहिता की धारा 498A के बारे में आज आपको विस्तार पूर्वक जानकारी इस लेख के माध्यम से आपको देने जा रहे हैं…

IPC 498A धारा के अंतर्गत महिलाओं के ऊपर होने वाले अत्याचार के अपराध के विषय में जानकारी दी गई है। आज हम सब भारतीयों का कर्तव्य कि हमारे संविधान में जो महत्वपूर्ण धाराएं हैं उन सभी के विषय में जानकारी होना बेहद जरूरी है। अब यहां बात आती है महिलाओं की सुरक्षा को लेकर तो सरकार के द्वारा भी और हमारे कानून में बहुत से ऐसे नए नए नियम लागू कर दिए गए हैं। जिससे महिलाओं को और ज्यादा सुरक्षा और मजबूती प्रदान की जा सके। 

लेकिन फिर भी कहीं ना कहीं आपने देखा होगा कि प्रशासन की कानून की बहुत सी जगह अनहोनी देखी गई है जिसकी वजह से महिलाओं को मौत के घाट उतार दिया जाता है या यूं कहे कि उनकी बलि चढ़ा दी जाती है और महिलाओं का शोषण होते हुए भी अक्सर देखा ही जाता है। 

इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि महिलाओं को अपने अधिकारों के विषय में जानकारी नहीं होती है और कानून के विषय में भी वह जानती नहीं है समाज के डर और समाज की गंदी सोच की वजह से वह अपने आत्मसम्मान के लिए अपने अधिकारों के लिए या उनके साथ जो भी कोई अत्याचार होता है उसके लिए वह लड़ नही पाती है।

इन्हीं सब जुल्मों का सामना करते हुए आज हर महिला को भारतीय संविधान की धारा 498 ए के अंतर्गत आने वाले नियम कानूनों के विषय में जानकारी होनी चाहिए। इसीलिए आज हम इस पोस्ट के माध्यम से महिलाओं की सुरक्षा के लिए इस धारा के विषय में जानकारी विस्तार पूर्वक देने जा रहे हैं।आईपीसी की धारा 498 ए क्या कहती है और क्या सजा क्या मिलती है और इसके अंतर्गत जमानत के क्या प्रावधान है इन सभी के बीच में आपको बताने जा रहे हैं…

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क्या कहती है IPC की धारा 498A 

भारतीय दंड संहिता की धारा 498A के मुताबिक “किसी भी स्त्री पर उसका पति या उसके कोई भी रिश्तेदार उसके साथ क्रूरता का बर्ताव करते हैं तो उसको कारावास की 3 साल की कठिन सजा दी जाती है और जुर्माने से भी वह दंड का अधिकारी रहता है”

1. अर्थात किसी स्त्री के साथ जानबूझकर किया गया कोई भी आचरण जिस की प्रकृति उस स्त्री को आत्महत्या करने के लिए या उसके जीवन या फिर अंग या फिर स्वास्थ्य के प्रति गंभीर क्षति पहुंचाने के लिए उस को प्रेरित करने की संभावना की गई हो।

2. किसी महिला को परेशान करना जहां उसे या उसके संबंधित किसी भी पुरुष के किसी संपत्ति या कीमती प्रतिभूति के लिए विधि विरुद्ध उससे मांग पूरी करने के लिए प्रताड़ित करना और मांग ना पूरी होने की वजह से उसको तंग किया जा रहा हो इनको आईपीसी की धारा 498 ए के अंदर शामिल किया गया है।

IPC 498A में शिकायत

आईपीसी 1973 की धारा 468 में यह बताया गया है कि आईपीसी 1860 की धारा 498A के अंदर वर्णित अपराध का आरोप लगाते हुए अगर कोई भी शिकायत दर्ज होती है तो इस घटना या पूरी वारदात के लिए 3 साल के अंदर तक कोई भी पीड़ित महिला पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवा सकती है.

इसके अलावा अगर किसी महिला के पति या उसके रिश्तेदार मिलने वाले के द्वारा उसके साथ क्रूरता करने जैसा अपराध किया जाता है तो भारतीय दंड संहिता 477 में इस तरह के अपराध को न्यायालय को अधिकार दिया जाता है कि अपराध के अंतर्गत शिकायत दर्ज होने की समय सीमा खत्म होने के बाद भी न्यायाधीश के द्वारा उस अपराध पर विचार करने का अधिकार होता है।

आईपीसी 498A के अंतर्गत मिलने वाली सजा

भारतीय दंड संहिता 498A के अंतर्गत अगर कोई भी स्त्री के साथ उसका पति या पति के रिश्तेदार क्रूरता का व्यवहार करते हैं उस पर धारा 498A के अंतर्गत सजा का वर्णन भारतीय कानून में बताया गया है इसके अलावा महिलाओं पर होने वाला यह अपराध बोध गंभीर अपराध माना जाता है.

इस अपराध के लिए कम से कम 3 साल तक की जेल और अगर किसी भी परिस्थिति के अंतर्गत महिला की मौत हो जाती है तो उस स्थिति में धारा 304 बी के अंतर्गत मुकदमा चला कर उचित कार्रवाई की जाती है और यह मुकदमा पीड़ित महिला के पक्ष से कोई भी रजिस्टर्ड कर सकते हैं इसके अलावा यह अपराध एक संघीय अपराध माना जाता है।

IPC 498A में जमानत कैसे मिलती है

धारा 498A एक तरफ भारतीय दंड संहिता की धारा 460 की धारा 471 इस अपराध को गैर जमानती अपराध माना जाता है और यह एक संगीन अपराध है। गैर योगिक अपराध की श्रेणी में माना जाता है । शिकायतकर्ता के द्वारा FIR पुलिस अधिकारी के द्वारा रजिस्टर्ड जरूर होनी चाहिए ।अगर इस धारा के अंतर्गत जमानत मिल सकती है तो केवल मजिस्ट्रेट के द्वारा ही मिल सकती है। एक बार इस केस में FIR हो गई तो उसके बाद आपको अग्रिम जमानत लेने की शिकायत कर सकते हो।

जब अभियुक्त अग्रिम जमानत के लिए अदालत में स्थित के लिए अपील करता है तो उसके ऊपर कुछ रूल्स लागू कर दिए जाते हैं, पत्नी या अन्य आश्रितों के पास एक निश्चित राशि का डिमांड ड्राफ्ट उसके रखरखाव के रूप में रखना होता है। लेकिन जब पत्नी और बच्चों के रखरखाव के लिए कोई विशेष प्रकार का प्रावधान रहता है तो धारा 498a के अंतर्गत एक ऐसी ही शर्त के साथ अग्रिम जमानत कानून के खिलाफ भी हो जाती है।

FAQs

क्या 498A में तुरंत गिरफ्तारी होती है?

इलाहाबाद हाई कोर्ट के अनुसार भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498A प्राथमिकी दर्ज होने के बाद कूलिंग की 2 महीने की अवधि समाप्त होने तक किसी भी प्रकार की गिरफ्तारी नहीं की जाएगी. 

498a केस वापस लेने में कितना समय लगता है?

आपकी पत्नी आपके खिलाफ 498a / 406 केस वापस लेने के लिए तैयार है और आपके बीच इस संबंध में समझौता किया है और अगर पुलिस द्वारा चार्जशीट जमा की जाती है तो इसे पूरा होने में 2-3 तारीख लगेगी और एमसीडी के लिए 180 दिन की आवश्यकता होगी।

498a कब दायर किया जा सकता है?

अगर किसी महिला को दहेज के लिए परेशान किया गया है या शादी के दौरान या बाद में इसके लिए धमकी दी गई है , तो उसके पति, उसके परिवार या ससुराल वालों को दहेज अधिनियम, 498ए और यहां तक ​​कि धारा 304ए के तहत सजा दी जा सकती है, (उसके मामले में) जान को खतरा है)।

कैसे 498 ए झूठा साबित करने के लिए?

बचाव के लिए पत्नी की धमकी की रिकाॅर्डिंग, चैट आदि सुरक्षित रखें – यदि पत्नी कभी भी आपको दहेज के झूठे केस में फंसाने की धमकी दे तो आप सतर्कता बरतें। उसकी चैटिंग, कोई आडियो रिकाॅर्डिंग अथवा कोई मैसेज अपने पास अवश्य सुरक्षित रखें। यह प्रमाण आपको कोर्ट से तुरंत जमानत दिलाने में मदद करेंगे।

498A IPC में कितनी सजा है?

यह धारा 498A (Dhara 498A) के तहत एक दंडनीय अपराध है अगर क्रूरता पति या पति के रिश्तेदार द्वारा की जाती है, भले ही महिला की शादी के 7 साल के भीतर संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो जाती है। इस अपराध के लिए अधिकतम कारावास 3 वर्ष है।

498a में चार्जशीट दाखिल होने के बाद क्या करना चाहिए?

आरोप तय करना/निर्मुक्त करना: अभियुक्तों/उनके वकीलों द्वारा चार्जशीट की जांच करने के बाद, अदालत आरोप तय करने के लिए आगे बढ़ती है , यानी अभियुक्तों को यह बताना कि उन्होंने आप पर क्या आरोप लगाया है।

क्या मैं कोर्ट में 498a फाइल कर सकता हूं?

आप इस मामले को सीधे उच्च न्यायालय में दर्ज नहीं कर सकते , पहले आपको पुलिस में शिकायत करनी होगी और यदि पुलिस आवश्यक कार्रवाई नहीं कर रही है तो आप पुलिस को निर्देश जारी करने के लिए उच्च न्यायालय जा सकते हैं।

498a तलाक याचिका के बाद दायर किया जा सकता है?

संहिता की धारा 198A एक तलाकशुदा पत्नी को भी इस तरह की शिकायत दर्ज करने में सक्षम बनाती है और अदालत धारा 498A IPC के तहत अपराध का संज्ञान ले सकती है यदि अपराध उस समय किया गया था जब आरोपी/पति और पीड़िता के बीच विवाह चल रहा था

निष्कर्ष

आज हमने आपको भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के बारे में जानकारी दी हैं। हमें उम्मीद है कि आपको जो इनफार्मेशन इस लेख में दी है ,वह आपके लिए बहुत हेल्पफुल होने वाली है।अगर इस तरह से संबंधित कोई भी जानकारी के विषय में आपको जानना है तो कमेंट बॉक्स में जाकर पूछ सकते हैं।