आज हम बताने जा रहे हैं कि कागज का अविष्कार कब और किसने किया था। आज के इस युग मे कागज का अपना ही बहुत बड़ा महत्व है। कागज का उपयोग आज के समय मे हर जगह हो रहा है जैसे बैंको में,स्कूलों में बच्चो की पढ़ाई में इस्तेमाल होने वाले कॉपी और किताबो में,ऑफिस के कामो में आदि। इसके अलावा अगर प्लास्टिक के इस्तमल की बात करे तो सरकार द्वारा प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उसे भी पूर्ण रूप से वेध कर दिया गया हैं। इसलिए कागज से बने थैले और लिफाफों का उपयोग सामान रखने के लिए किया जा रहा है।प्राचीन कल में लोग लिखने के लिए ताड़पत्रों का उपयोग किया करते थे।

कागज का पुराना इतिहास
इसके अलावा कुछ महत्वपूर्ण लेखो को ताम्रपत्र, शिलालेखों, और लकड़ी पर भी लिखा जाता था, जिससे की लेख ज्यादा लम्बे समय तक सुरक्षित रहे।जिससे की पर्यापरण को भी बहुत कम नुकसान हो रहा है।यह आवरण रेशों जैसी सामग्री थी जिसे सावधानी से क्रॉसवाइज और तिरछे दबाया जाता था। घास से मिलने वाले रेशों के साथ-साथ गोंद जैसा प्राकृतिक पदार्थ हुआ करता था, जो इन रेशों को जोड़ने का काम करता था। सुखाने पर उपलब्ध सामग्री कागज के अक्षरों के रूप में प्राप्त हुई। यह कार्य कई शताब्दियों तक लेखन का माध्यम बना रहा। बाद में ‘पेपर’ शब्द की उत्पत्ति उसी पर्पस से हुई।प्राचीन रोम और ग्रीस में, किताब बनाने के लिए लकड़ी के तख्तों को मोड़ा जाता था। इन तख्तियों को मिलाकर पुस्तक का रूप दिया गया। इन तख्तियों के ऊपर मोम या अन्य सामग्री ढँकी हुई थी और धातु की लेखनी से लिखने का कार्य किया जाता था।
यह भी पढिए: Filmywab bollywood movies download website
ग्रीस में इन किताबों को कोडिस कहा जाता था।कागज का सबसे अच्छा और सबसे सस्ता स्त्रोत लकड़ी को मन जाता है। वैसे तो कागज के आविष्कार का जनक चीन को माना जाता है। चीन के बाद भारत ही ऐसा देश है जिसमे कागज को बनाने और उसके इस्तेमाल के बहुत सारे प्रमाण मिले है। वैसे कागज का जनक चीन के रहने वाले “CAI LUN” को कहा जाता है। कागज का अविष्कार 202 ईपू. में हुआ था। चीन के बाद भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ सबसे पहले कागज का अविष्कार और इस्तेमाल हुआ। कागज की खोज ऐसी खोज है जिसके बाद से इसका इस्तेमाल पूरी दुनिया मे हो रहा है।
भारत में कागज बनाने की सबसे पहली मिल कश्मीर में लगाई गई थी जो सफल नही हो पाई। इसके बाद कागज बनाने का कारखाना कलकत्ता में हुगली नदी के पास बाली नामक स्थान पर लगाया गया था।कागज बनाने में सबसे बड़ी भूमिका सेल्यूलोस की होती है, जो की एक विशेष प्रकार का रेशा होता है। यह एक कार्बनिक यौगिक है। सेल्यूलोस तीन प्रकार का होता है, अल्फ़ा सेल्यूलोस, बीटा सेल्यूलोस, गामा सेल्यूलोस। अगर हम रुई की बात करें, तो रुई के अंदर 99 प्रतिशत अल्फ़ा सेल्यूलोस पाया जाता है। पेड़ो में भी सेल्यूलोस की मात्रा पायी जाती है, जिस पेड़ या पौधे में अधिक मात्रा में सेल्यूलोस होता है, उससे कागज अच्छा बनता है।
चीन से कागज निर्माण का क्या तात्पर्य है?
चीन का कागज बनाने से जुड़े इतिहास का काफी पुराना संबंध है, जिसके चलते कागज को सर्वप्रथम इन्ही देशों के उपयोग मे लाया गया। हालांकि, सिंधु सभ्यता के अंतर्गत प्राप्त हुए कुछ तथ्यों की माने तो चीन के बाद भारत मे कागज का निर्माण बड़े पमाने पर हुआ जिसके चलते आज हम जो भी शिक्षा या अन्य सामग्री का लेखन मे प्रयोग करते है। वो सभी कागज की मदद से होता है।
आज बड़े बड़े पेपर मिल बनाए जा रहे है, जिनमे कागज के निर्माण को विस्तार से रूप दिया रहा है, जर्मनी, इंग्लैंड व रूस जैसे विशाल देश जिनमे कागज की खोज को लेकर काफी शोध हुए सभी भारत के दिशानिर्देश के बाद किये गए। कागज के आविष्कार को सबसे बड़ी खोजों मे अंकित किया जाता है। आज हम अपने दैनिक जीवन मे कितने प्रकार के कागज का उपयोग करते है, वो फिर चाहे अखबारों के द्वारा हो या अन्य किसी पत्रों के द्वारा। सभी मे कागज की अपनी एक अहम विशेषता है। हालांकि, वर्तमान समय मे कुछ हद तक कागज की खपत मे गिरावट देखने को मिली है। अनलाइन पद्दती के चलते स्कूल व कॉलेज परिसरों मे अब कागज का इतना अधिक प्रयोग नहीं किया जाता। परंतु फिर भी कागज की डिमैन्ड हर एक संस्थान मे रहती है। फिर व चाहे सरकारी हो या प्राइवेट।
तो आशा करते है,
आज की इस पोस्ट के माध्यम से आपको कागज के आविष्कार के विषय मे पर्याप्त जानकारी मिली होगी साथ ही कागज का निर्माण सर्वप्रथम कहा ओर कैसे हुआ। अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक्स पर क्लिक कर ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते है।