भारत मे अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने व सभी नागरिकों को जरूरी सामग्री प्रदान करने के लिए विभिन विभिन योजनाओ को सरकार द्वारा पारित किया जाता है। ऐसी सभी योजनाओ के अंर्तरगत एक ओर महत्वपूर्ण योजना समिलित हुई है, जिसको मनरेगा के नाम से जाना जाता है। आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम मनरेगा से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी देंगे। साथ ही इसके क्या क्या लाभ है। उन सभी के विषय मे भी पर्याप्त जानकारी मिलेगी।
तो बिना देरी किए शरू करते है, आज की इस पोस्ट को।

MGNREGA क्या है?
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 जिसे कुछ समय के बाद महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम मे का नाम दिया गया। एक भारतीय श्रम कानून और सामाजिक सुरक्षा उपाय है जिसका उद्देश्य ‘काम के अधिकार’ की गारंटी देना है। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों का वेतन रोजगार प्रदान करके आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना है, जिसके चलते सभी लॉगों को पर्याप्त सुविधा मुहाया कराई जा सके।
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इस अधिनियम को पहली बार 1991 में पी.वी. नरसिम्हा राव के नेत्रत्व मे 2006 में लागू किया गया। इसे अंततः संसद में स्वीकार कर लिया गया और भारत के 625 जिलों में इसे लागू करना शुरू कर दिया गया। इसके अनुभव के आधार पर, नरेगा को 1 अप्रैल 2008 से भारत के सभी जिलों में शामिल किया गया था। इस क़ानून को सरकार “दुनिया में सबसे बड़ा और सबसे महत्वाकांक्षी सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है, जिसके फलस्वरूप अनेकों ग्रामीण व मजदूर लोग लाभान्वित होते है। मनरेगा की शुरुआत “ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्णरूप से आय का स्रोत को एक नया रूप देने के लिए किया गया था।
जिसके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक कार्य करने के लिए स्वेच्छा से काम करते हैं।” मनरेगा का एक अन्य उद्देश्य है टिकाऊ संपत्ति (जैसे सड़कें, नहरें, तालाब, कुएं) बनाएं रखना। आवेदक के निवास के 5 किमी के भीतर रोजगार उपलब्ध कराया जाना है, और न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाना है। यदि आवेदन करने के 15 दिनों के भीतर काम नहीं दिया जाता है, तो आवेदक बेरोजगारी भत्ते के हकदार हैं। इस प्रकार, मनरेगा के तहत रोजगार एक कानूनी अधिकार है।
मनरेगा को मुख्य रूप से ग्राम पंचायतों (GP) द्वारा लागू किया जाता है। ठेकेदारों की संलिप्तता प्रतिबंधित है। जल संचयन, सूखा राहत और बाढ़ नियंत्रण के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करने जैसे श्रम प्रधान कार्यों को प्राथमिकता दी जाती है। आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने और ग्रामीण संपत्ति बनाने के अलावा, नरेगा पर्यावरण की रक्षा करने, ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने,व ग्रामीण इलाकों मे पूर्णरूप से विकास की नवीन पहल को उजागर करने के लिए किए जाता हैं।
MGNREGA का उद्देश्य क्या है?
MGNREGA अधिनियम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक परिवार को, जिसके वयस्क सदस्य स्वेच्छा से अकुशल शारीरिक श्रम करना चाहते हैं, एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों की गारंटी मजदूरी रोजगार प्रदान करके आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना है। इसके अलावा जब रोजगार के अन्य विकल्प दुर्लभ या अपर्याप्त हों, तब कमजोर समूहों के लिए एक मजबूत सामाजिक सुरक्षा जाल एक फॉल-बैक रोजगार स्रोत प्रदान करके लॉगों को जरूरी लाभ प्रदान करना।
एक कृषि अर्थव्यवस्था के सतत विकास के लिए विकास इंजन। सूखे, वनों की कटाई और मिट्टी के कटाव जैसे पुरानी गरीबी के कारणों को संबोधित करने वाले कार्यों पर रोजगार प्रदान करने की प्रक्रिया के माध्यम से, अधिनियम ग्रामीण आजीविका के प्राकृतिक संसाधन आधार को मजबूत करने और ग्रामीण क्षेत्रों में टिकाऊ संपत्ति बनाने का प्रयास करता है। प्रभावी ढंग से कार्यान्वित, मनरेगा में गरीबी के भूगोल को बदलने की क्षमता है।
वही दूसरी ओर इस अधिनियम को पहले चरण में 2 फरवरी 2006 से 200 जिलों में अधिसूचित किया गया था और फिर वित्तीय वर्ष 2007-2008 में अतिरिक्त 130 जिलों में विस्तारित किया गया था (113 जिलों को 1 अप्रैल 2007 से अधिसूचित किया गया था, और यूपी में 17 जिलों को अधिसूचित किया गया था) 15 मई 2007 से प्रभावी)। शेष जिलों को 1 अप्रैल, 2008 से नरेगा के तहत अधिसूचित किया गया है। इस प्रकार नरेगा में शत प्रतिशत शहरी आबादी वाले जिलों को छोड़कर पूरे देश को कवर किया गया है। आशा करते है, आज की इस पोस्ट के माध्यम से आपको MGNREGA के विषय मे विस्तार से जानकारी मिली होगी।