Shiv chalisa ka mahatva & niyam शिव चालीसा का महत्व व नियम

शिव चालीसा का पाठ भगवान शिव शंकर को प्रसन्न करने का एक बहुत ही प्रभावशाली उपाय माना जाता है।मान्यताओं के अनुसार शिव चालीसा के पाठ से सभी भक्तों को अनेकों अनेक चमत्कारी लाभ भी प्राप्त हुए हैं।लेकिन शिव चालीसा का पाठ बहुत ही विधि पूर्वक और नियम से करने पर ही उसका वास्तविक फल प्राप्त होता है। 

भगवान शिव हमेशा अपने भक्तों से प्रसन्न में रहते हैं। कहा जाता है कि जैसा उनका नाम है वैसे ही उनका स्वभाव है। भोलेनाथ को उनकी सौम्य आकृति के साथ-साथ उनके रौद्र रूप के लिए भी आज सभी लोग पहचानते हैं। उनके जो भी भक्त हैं वह पूरे नियम और मन से अगर शिव चालीसा का पाठ करते हैं, तो वह अपने भक्तों से आसानी प्रसन्न होकर उनको मनोवांछित वर भी प्रदान कर देते हैं।

शिव चालीसा में 40 पंक्तियां लिखी गई है। जिनमें देवों के देव महादेव भगवान शिव शंकर की स्तुति का गान किया गया है ऐसा भी माना जाता है कि अगर उनका यह पाठ एक सच्चे मन व तरीके से अगर किया जाए तो भगवान शिव की कृपा उस पर हमेशा बनी रहती है।

तो चलिए आज हम आपको बताने वाले हैं, कि शिव चालीसा का क्या महत्व है, भगवान शिव का मनुष्य जीवन में क्या महत्व माना जाता है, शिव चालीसा को करने के लिए किन किन बातों का ध्यान में रहना कितना जरूरी होता है, शिव चालीसा से जुड़ी हुई सभी महत्वपूर्ण बातों के बारे में आज हम आपको इस आर्टिकल के द्वारा बताने जा रहे हैं…

Shiv chalisa ka mahatva & niyam शिव चालीसा का महत्व व नियम

शिव चालीसा की उत्पत्ति

शिव चालीसा को हमारे धार्मिक सबसे प्राचीन ग्रंथों शिव पुराण से लिया गया है। आप सभी की जानकारी के लिए बता दें कि शिव पुराण के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी है। इस पवित्र ग्रंथ को देववाणी संस्कृत भाषा में लिखा गया है। शिव पुराण में 24000 श्लोकों का वर्णन किया गया है। इसी में से ही शिव चालीसा की हिंदी भाषा में उत्पत्ति हुई है। 

शिव चालीसा का पाठ भगवान भोले भंडारी देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। यह बहुत ही हिंदी भाषा का सबसे आसान और सरल प्रभावशाली उपाय माना जाता है।हिंदू धर्म में सबसे अधिक देवों के देव महादेव भगवान भोले शंकर की पूजा बहुत ही सामान्य रूप से की जाती है।

शिव की पूजा में किसी तरह का कोई दिखावा आडंबर नहीं होता है। सिर्फ इनकी पूजा के लिए आप अगर अपने मन से एक चावल का दाना भी प्रभु के चरणों में अर्पण कर दे तो कहते हैं, महादेव उसी से ही प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान भोले भंडारी कि अगर नजर और उनकी कृपा दृष्टि चोर पर भी पड़ जाती है तो उसको भी वह राजा बना देते हैं। शिव की भक्ति पूर्ण श्रद्धा भाव से हो तो उनकी कृपा सदैव मनुष्य पर बनी रहती है।

भगवान भोलेनाथ त्रिदेव में से एक बड़े देव हैं इसीलिए इनको देवों के देव महादेव भी कहा जाता है। और इनको मृत्यु लोक का स्वामी भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव बैकुंठ धाम में विराजमान रहते हैं। भगवान ब्रह्मा ब्रह्मलोक में विराजमान रहते हैं, लेकिन भोले भंडारी कैलाशपति महादेव मृत्यु लोक के दाता है अर्थात यह एवं धरती पर पूरी तरह से विराजमान रहते हैं। इसीलिए इनके पूजा-पाठ करने वाला हर व्यक्ति की मनोकामना भोले भंडारी पूरी कर देते हैं। 

भगवान शिव को प्रसन्न करने के दिन

वैसे तो कहा जाता है कि भगवान की पूजा करने का कोई दिन और समय नहीं होता है। उनका कभी भी किसी भी समय अगर व्यक्ति सच्चे मन से नाम लेता है तो उसमें भी उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। लेकिन हमारे धार्मिक पुराणों में ही शिव को प्रसन्न करने के दिन तिथि का वर्णन किया गया है। सोमवार, त्रयोदशी तिथि और शिवरात्रि प्रमुख है।

भगवान शिव के अनेक नाम

भगवान भोले शंकर को अनेक नामों से जाना जाता है जैसे कोई इन्हें शंकर,महेश, रूद्र,नीलकंठ, भोले भंडारी,शिव आदि नामों से कह कर पुकारते हैं।सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा का बहुत अधिक विधान होता है। इनकी पूजा मंत्रोचार के साथ में की जाए तो उनकी मनोवांछित इच्छाएं पूरी हो जाती है। इसी तरह शिव चालीसा का पाठ करना भी हर इंसान के लिए बहुत जरूरी होता है। शिव चालीसा का पाठ करने से सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है और भगवान शिव को जल्दी प्रसन्न करने का यह एकमात्र उपाय है।

शिव चालीसा के पाठ करने के होने वाले फायदे

शिव चालीसा का पाठ अगर कोई भी व्यक्ति अपने शुद्ध मन और वाणी से जितना तेज बोलकर करता है तो उसका फायदा पढ़ने वाले के साथ साथ छोड़ने वाले को भी मिलता है इसीलिए इस शिव चालीसा का पाठ को पूर्ण भक्ति भाव से करने पर भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं।

किसी भी तरह की परेशानी या मन में किसी भय के लिए शिव चालीसा के निम्न भक्ति का पाठ करें –

जय गणेश गिरिजा सुवन मंगल मूल सुजान।

कह तो अयोध्या दास तुम देव अभय वरदान।।

इस पंक्ति का नियमित पूर्ण भक्ति भाव से 40 दिन तक अगर कोई भी व्यक्ति पाठ करता है तो उसको 40 दिन में इसका लाभ अवश्य प्राप्त होता है।

किसी भी तरह के दुख में परेशानी से घिरे होने पर

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा,जीत के लंक विभीषण दीना।।

इस पंक्ति का उच्चारण रोजाना शाम को 13 बार करने पर किसी भी तरह के दुख और कष्ट से घिरे होने पर पूर्ण शांति मिलती है। इस लाइन का उच्चारण 27 दिन तक करने पर हर इंसान को किसी भी प्रकार के होने वाले दुख में फायदा मिल जाता है।

शिव चालीसा पाठ करने से मिले मनचाहा वरदान

शिव चालीसा का पाठ करने के लिए सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर एक सफेद आसन पर बैठना चाहिए।

शिव चालीसा का पाठ करने के लिए हमेशा उत्तर दिशा में या पूर्व दिशा में मुंह करके बैठना चाहिए। इसके अलावा गाय के घी का दिया जला कर 11 बार शिव चालीसा का पाठ करें। इसके बाद 11 बेलपत्र 11 अशोक सुंदरी के पत्र भगवान शिव को अर्पण करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। 

इसके अलावा एक लोटा जल और उसमें एक सफेद फूल डालकर अगर भगवान शिव को अर्पण किया जाए तो आपको मनचाहा वरदान प्राप्त हो जाता है। इसके अलावा जब भगवान को पूर्ण श्रद्धा भाव से पाठ करने के बाद में और सभी चीजें भगवान को अर्पण करने के पर श्री शिवाय नमस्तुभ्यं का मन ही मन जाप करते रहना चाहिए।

Conclusion

आज आपको इस आर्टिकल के माध्यम से शिव चालीसा के महत्व और नियम के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हमने जो जानकारी दी है वो पसन्द आयी होगी। इसी तरह की जानकारियों से जुड़े रहने के लिए आप हमारी वेबसाइट से कंटिन्यू जुड़ सकते हैं और अगर यह जानकारी आपको पसंद आए तो आप इस पर कमेंट करके जरूर बताएं।