भारतवर्ष मे शरुआत से ही बड़े बड़े विद्वान लेखक हुए है, जिन्होंने अपनी काबिलियत से बड़ी बड़ी रचनाए व कविता लिखी है। मुंशी प्रेमचंद से लेकर बड़े बड़े कविता कार हुए है, ऐसी ही एक मसहूर कवयित्री के विषय मे आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम चर्चा करेंगे। जी हाँ, आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम सुभद्रा कुमारी चौहान के विषय मे जानकारी देंगे। तो बिना देरी किए शरू करते है, आज की इस पोस्ट को।
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सुभद्रा कुमारी चौहान- जीवन परिचय।
जानी-मानी कवयित्री और स्वतंत्रता सेनानी सुभद्रा कुमारी चौहान को उनकी उद्बोधक देशभक्ति कविता ‘झांसी की रानी’ के लिए पहचाना जाता है, जो हिंदी साहित्य में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली कविताओं में से एक है। सुभद्रा की लेखन शैली उन महिलाओं पर केंद्रित थी जिन्होंने अपने कार्यों के माध्यम से राष्ट्र की संप्रभुता के लिए लड़ने के अलावा कठिनाइयों को पार किया।
16 अगस्त 1904 में उनका जन्म इलाहाबाद जिले के निहालपुर में हुआ था। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में पली-बढ़ी यह कवयित्री अपनी ऊर्जा लेखन पर केंद्रित करने के लिए जानी जाती थी। महज नौ साल की उम्र में उनकी पहली कविता प्रकाशित हुई थी। जब अपने प्रारंभिक वयस्क वर्षों के दौरान भारतीय स्वतंत्रता का आह्वान अपने चरम पर पहुंच गया, तो वह भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन में शामिल हो गईं और लोगों को इस कारण से जुड़ने के लिए प्रेरित करने के लिए कविता को एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया।
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सुभद्रा चौहान का कवयात्री के रूप मे कैसा सफर रहा?
सुभद्रा कुमारी चौहान 1921 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए प्रसिद्ध असहयोग आंदोलन में शामिल हुईं और नागपुर में गिरफ्तार होने वाली पहली महिला सत्याग्रही बनीं। 1923 और 1942 मे ब्रिटिश क्रूर साशन के किलफ आंदोलन करने के कारण दो बार जाईल भी भेजा गया। उनके अंदर देश भक्ति की एक अलग ही उमग थी। इसी कारण उन्होंने ने केवल अपनी कविताओ के माध्यम से बल्कि स्वतंत्रा सैनानी के रूप मे प्रमुख प्राथमिकता निभाई थी।
उन्होंने हिन्दी साहित्य के अंतर्गत अनेकों कविता लिखी, उन सभी कविताओ मे सबसे प्रमुख खूब लड़ी वो मर्दानी का नाम आता है। कविता हिंदी साहित्य में सबसे अधिक पढ़ी और गाई जाने वाली कविताओं में से एक है। यह और उनकी अन्य कविताएँ, वीरों का कैसा हो बसंत, राखी की चुनौती और विदा, खुलकर स्वतंत्रता आंदोलन की बात करती हैं। ऐसा माना जाता है, कि चौहान ने हजारों लाखों युवाओ को प्रेरित किया।
सुभद्रा कुमारी चौहान के द्वारा लिखी गई कविताओ के नाम
जैसा की हमने ऊपर वर्णन किया है, कि सुभद्रा कुमारी चौहान के द्वारा अनेकों बड़ी कविता व रचनाए लिखी गई है। ऐसी ही अन्य कुछ प्रमुख कविताओ के नाम नीचे दिए गए है,
- कोयल
- उपेक्षा
- उल्लास
- अनोखा दान
- आराधना
- इसका रोना
- कलह कारण
- खूब लड़ी मर्दानी झांसी वाली
सुभद्रा कुमारी चौहान को बचपन से ही कविताएँ लिखने का शौक था। कहा जाता है कि उन्होंने अपनी पहली कविता 9 साल की उम्र में एक नीम के पेड़ पर लिखी थी। उनकी पांच प्रकाशित कृतियों में दो कविता संग्रह – मुकुल और त्रिधारा – और तीन कथा संग्रह शामिल हैं। उनके तीन कहानी संग्रह मोती, उनमदिनी और सीधे-सादे चित्र हैं। उन्होंने अपने कार्यों के माध्यम से स्वतंत्रता की लड़ाई में क्रांतिकारी बयान दिए – उनकी कुल 88 प्रकाशित कविताएँ और 46 लघु कथाएँ हैं।
सुभद्रा कुमारी चौहान ने न केवल अपनी भावनाओं और सपनों को कागज पर उतारा, बल्कि उन्हें अपने वास्तविक जीवन में भी जिया। उन्होंने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में भाग लिया, और ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला के बारे में कहा जाता है। सुभद्रा कुमारी चौहान ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई, जिसके कारण उन्हें कई बार कारावास हुआ। वह दूसरों को भी अपने कार्यों के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित करती हैं।
सुभद्रा कुमारी चौहान ने जिस प्रकार से अपनी भूमिका कवयित्री के रूप मे प्रस्तुत की उसे देखते हुए आज समस्त भारतवर्ष उन्हे नमन करता हैं। एक स्वतंत्रा सेनानी के रूप मे जिस प्रकार से उन्होंने अपना योगदान दिया वो सदेव सराहनीय रहेगा। आशा करते हैं, आज की इस पोस्ट के माध्यम से आपको सुभद्रा कुमारी चौहान के विषय मे विस्तार से जानकारी मिली होगी। अगर आप भी कविता पढ़ने के शौकीन हैं, तो आप चौहान कविताओ का आनंद ले सकते हैं।