Top 10+ Hindi short stories for class 3

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Hindi short stories for class 3

बादाम किसे मिला (Hindi short stories for class 3)

एक दिन दो लड़के सड़क के किनारे किनारे जा रहे थे। तभी उन्हें जमीन पर गिरा हुआ एक बादाम दिखाई दिया। दोनों उस बादामे को लेने के लिए दौड़ पड़े। बादाम उनमें से एक लड़के के हाथ लगा। दूसरे लड़के ने कहा, “यह बादाम मेरा है क्योंकि सबसे पहले मैंने इसे देखा था।” 

बादाम लेने वाले लड़के ने कहा, यह मेरा है क्योंकि मैंने इसे उठाया था। इतने में वहाँ एक चलाक लंबा सा लड़का आ पहुँचा। उसने दोनों लड़को से कहा, “बादाम मुझे दो।” मैं तुम दोनों का झगड़ा निपटा देता हूँ।” लंबे लड़के ने बादाम ले लिया। उसने बदाम को फोड़ डाला। उसके कठोर छिलके के दो टुकड़े कर दिये। 

छिलके का आधा हिस्सा एक लड़के को देकर उसने कहा, “लो यह आधा भाग तुम्हारा दूसरा भाग दूसरे लड़के के हाथ मे थमाकर बोला और यह भाग तुम्हारा। फिर लंबे लड़के ने बादाम की गिरी मुँह में डालते हुए कहा, “यह बाकी बचा हिस्सा मैं खा लेता हूँ। क्योंकि तुम्हारा जागड़ा निपटाने में मैंने मदद की है।

Moral – दो के झगड़े में तीसरे का फायदा।

बदसूरत ऊँट (Moral Stories in Hindi for Class 3)

एक ऊँट था। दूसरों की निंदा करने की उसकी बुरी आदत थी। वह हमेशा दूसरे जानवरों व चिड़ियों की शक्ल-सूरत की खिल्ली उड़ाता रहता था। उसके मुँह से कभी किसी जानवर की तारीफ नही निकलती थी। गाय से वह कहता, “जरा अपनी शक्ल तो देखो! कितनी बदसूरत हो तुम! हड्डियों का ढॉँचा मात्र है तुम्हारा शरीर। लगता है तुम्हारीहड्डियाँ खाल फाड़कर किसी भी क्षण बाहर निकल आएँगी।” 

भैस से वह कहता, “तुमनें तो विधाता के साथ जरुर कोई शैतानी की होगी। तभी तो उसने तुझे काली-कलूटी बनाया है। तुम्हारे टेढ़े-मेढ़े सींग तुम्हें और भी बद्सूरत बना देते हैं।”

हाथी को चिढ़ाता हुआ वह कहता, “तुम तो सभी जानवरों में कार्टून जैसे दिखते हो। विधाता ने मजाक के क्षणो में तुम्हे बनाया होगा। तुम्हारे शरीर के अंगों में किसी प्रकार का संतुलन नहीं है। तुम्हारा शरीर कितना विशाल है और पूँछ कितनी छोटी, तुम्हारी आँखें कितनी छोटी हैं और कान इतने बड़े सूप जैसे। तुम्हारी सूँड, पैर और शरीर के अन्य अंगों के बारे में तो मैं बस चुप रहूँ, यही ठीक रहेगा।” 

तोते से वह कहता, “तुम्हारी टेढ़ी और लाल रंग की चोंच बनाकर विधाता ने वाकई तुम्हारे साथ मजाक किया है।” इस तरह ऊँट हमेशा हर जानवर की खिल्ली उड़ाता रहता था। एक बार ऊँट की मुलाकात एक लोमड़ी से हो गई। वह बड़ी ही मुँहफट थी और किसी को भी खरी बात सुनाने से नही हिचकती थी। 

ऊँट उसके बारे में उल्टा-सीधा बोलना शुरु करे, इसके पहले ही लोमड़ी नें कहा, “अरे ऊँट, तू लोगों के बारे में उल्टी-सीधी बातें करने की अपनी गंदी आदत छोड़ दे। जरा अपनी शक्ल-सूरत तो देख। तुम्हारा लंबा चेहरा, पत्थर जैसी तुम्हारी आँखें, पीले-पीले गंदे दाँत, टेढ़े-मेढे भद्दे पैर और तुम्हारी पीठ पर यह भद्दा सा कूबड़। 

सभी जानवरों में सबसे बदसूरत तू ही है। दूसरे जानवरों में तो एक-दो खामियाँ है। पर तुम में तो बस खामियाँ ही खामियाँ हैं। लोमड़ी की खरी-खरी बात सुनकर ऊँट का सिर शर्म से झुक गया। वह चुपचाप वहाँ से खिसक गया।

Moral – दूसरों की कमियाँ ढूँढ़ने के पहले अपनी कमियों पर नजर डालिये।

भेड़िया और बाँसुरी (Moral Stories in Hindi for Class 3)

एक भेड़िया था। एक बार वह भेड़ों के झुंड से उसने एक मेमने को उठा लाया। उसे लेकर वह जंगल की ओर जा रहा था कि मेमने ने कहा,”भेड़िए चाचा, मैं जानता हूँ कि आप मुझे खा जाओगे। पर मुझे खाने से पहले क्या आप मेरी आखिरी इच्छा पूरी करोगे?” क्या है तेरी आखिरी इच्छा? भेड़िए ने पूछा। 

मेमने ने कहा, चाचा, मुझे पता है,आप बाँसुरी बहुत अच्छी बजाते हो। मुझे बाँसुरी की धुन बहुत अच्छी लगती है। इसलिए मुझे मारने के पहले कृपा करके बाँसुरी की धुन तो सुना दो। भेड़िया बैठ गया और उसने बाँसुरी बजाना शुरु कर दिया। थोड़ी देर के बाद जब भेड़िए ने बाँसुरी बजाना बंद किया। 

तो मेमने ने उसकी तारीफ करते हुए कहा, वाह! वाह! बहुत सुंदर! चाचा आप तो उस गड़रिए से भी अच्छी बाँसुरी बजाते हो। इतनी सुरीली बाँसुरी कोई भी नहीं बजा सकता। चाचा, एक बार फिर बजाओ न! मेमने की बातें सुनकर भेड़िया फूलकर कुप्पा हो गया। इस बार वह और जोश में आकरे पहले की अपेक्षा ज्यादा ऊँचे सुर में बाँसुरी बजाने लगा। 

इस बार बाँसुरी के स्वर गड़रिए और उसके शिकारी कुत्तों के कानों में पड़े। गड़रिया अपने शिकारी कुत्तों के साथ दौड़ता हुआ वहाँ आ पहुँचा। शिकारी कुत्तों नें भेड़िए को धर दबोचा और उसका काम तमाम कर दिया। मेंमना भागता हुआ भेड़ों के झुंड़ में जा मिला।

Moral – धीरज और सूझबूझ से ही हम संकट को पार कर सकते हैं।

गड़ा खजाना (Moral Stories in Hindi for Class 3)

एक बूढ़ा किसान था। उसके तीन बेटे थे। तीनों ही जवान और हट्टे-कट्टे थे। पर वे बहुत ही आलसी थे। पिता की कमाई उड़ाने में उन्हें बड़ा मजा आता था। मेहनत करके पैसे कमाना उन्हें अच्छा नहीं लगता था। एक दिन किसान ने अपने बेटों को बुलाकर कहा, “देखो, तुम लोगों के लिए मैंने अपने खेत में एक छोटा-मोटा खजाना गाड़ रखा है। 

तुम लोग खेत को खोद डालो और उस खजाने को निकालकर आपस में बाँट लो”, दूसरे दिन उस किसान के तीनों लड़के कुदालियाँ लेकर खेत पर पहुँच गए और खुदाई शुरू कर दी। उन्होंने खेत की एक-एक इंच जमीन खोद डाली। पर, उन्हें कहीं भी खजाना नही मिला। अंत में निराश होकर वे पिता के पास पहुँचे। 

उन्होंने कहा, “पिताजी, हमने पूरा खेत खोद डाला, पर हमें कहीं भी खजाना नही मिला।” किसान ने जवाब दिया, “कोई बात नहीं! तुम लोगों ने खेत की बहुत अच्छी खुदाई कर दी है।अब मेरे साथ आओ, हम इसकी बोआई करें।” बाप-बेटों ने मिलकर खूब लगन से खेत की बुआई की। संयोग से उस वर्ष बरसात भी समय पर और बहुत अच्छी हुई। 

खेत में खूब पैदावार हुई। फसल पक जाने पर खेत की शोभा देखते ही बनती थी। तीनों बेटों ने बड़े गर्व से अपने पिता को लहलहाती फसल दिखाई। किसान ने कहा, “वाह, क्या खूब फसल हुई है। यही है वह खजाना, जिसे मैं तुम लोग को सौपना चाहता था। अगर तुम लोग इसी तरह कड़ी मेहनत करते रहोगे। तो ऐसा ही खजाना तुम्हें हर वर्ष मिलता रहेगा।”

Moral – मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है।

बारहसिंगे के सींग और पाँव (Short Moral Stories in Hindi)

एक बारहसिंगा था। एक बार वह तालाब के किनारे पानी पी रहा था। इतने में उसे पानी में अपना प्रतिबिंब दिखाई दिया। उसने मन ही मन सोचा, मेरे सींग कितने सुंदर हैं। किसी अन्य जानवर के सींग इतने सुंदर नहीं हैं। इसके बाद उसकी नजर अपने पैरों पर पड़ी। उसे बहुत दुख हुआ। मेरे पैर कितने दुबले-पतले और भद्दे हैं। 

तभी उसे थोड़ी दूर पर बाघ के दहाड़ने की आवाज सुनाई दी। बारहसिंगा डरकर तेजी से भागने लगा। उसने पीछे मुड़कर देखा। बाघ उसका पीछा कर रहा था। वह और तेज गति से भागने लगा। भागते-भागते वह बाघ से बहुत दूर निकल गया। आगे एक घनघोर जंगल था। वहाँ पहुँचकर उसे राहत मिली। 

वह अपनी गति धीमी कर सावधानी पूर्वक आगे बढ़ने लगा। एकाएक उसके सींग एक पेड़ की डालियों में उलझ गए। बारहसिंगे ने अपने सींग छुड़ाने की बहुत कोशिश की, पर वे नहीं निकले। उसने सोचा, ओह! मैं अपने दुबले-पतले और भद्दे पैरों को कोस रहा था।

पर उन्हीं पैरों ने बाघ से बचने में मेरी मदद की। मैंने अपने सुंदर सींगों की बहत तारीफ की। पर ये ही सींग अब मेरी मृत्यु का कारण बनने वाले हैं। इतने में बाघ दौड़ता हुआ आ पहुँचा उसने बारहसिंगे को मार डाला।

Moral – सुंदरता से उपयोगिता अधिक महत्त्वपूर्ण होती है।

डब्बू और नाई (Very Short Story in Hindi with Moral for Class 3)

डब्बू नाम का एक छटा लड़का था। वह हमेशा होशियारी दिखाता था। एक दिन उसे नाई से मजाक करने की सूझी वह सुबह-सुबह नाई दुकान में पहुँचा। शीशे के सामने कुर्सी पर बैठ गया। नाई ने पूछा, “क्या बात है डब्बू?” डब्बू ने शान से कहा, “जरा मेरी दाढ़ी बना दो।” नाई को डब्बू की शैतानी समझ में आ गई। 

उसने कहा, “हाँ जरूर बनाऊँगा।” इसके बाद नाई ने डब्बू के कंधो पर तौलिया लपेट दिया। उसने ब्रश से उसके चेहरे पर झागदार साबुन लगाया फिर वह अपने अन्य काम में लग गया। डब्बू ने कुछ देर तक इतंजार किया। चेहरे पर साबुन पोते ज्यादा देर तक बैठे रहना। उसके लिए मुश्किल हो गया। 

उसने नाई पर नाराज होते हुए कहा आखिर तुमने मुझे इस तरह क्यों बिठा रखा है। यह सुनकर नाई हँस पड़ा। उसने शांति से जवाब दिया इसलिए कि अभी में तुम्हारी दाढी उगने का इंतजार कर रहा हूँ।

Moral – दूसरे का मजाक उड़ानेवाला खुद मजाक का पात्र हो जाता है।

सम्राट और बूढ़ा आदमी (Moral Stories in Hindi for Class 3)

जापान के एक सम्राट के पास बीस सुंदर फूलदानियों का एक दुर्लभ संग्रह था। सम्राट को अपने इस निराले संग्रह पर बड़ा अभिमान था। एक बार सम्राट के एक सरदार से अकस्मात एक फूलदानी टूट गई। इससे सम्राट को बहुत गुस्सी आया। उसने सरदार को फाँसी का आदेश दे दिया। 

पर एक बूढ़े व्यक्ति को इस बात का पता चला वह सम्राट के दरबार में हाजिर हुआ और बोला, “मै टूटी हुई फूलदानी जोड़ लेता हूँ। मैं उसे इस तरह जोड़ दूँगा कि वह पहले जैसी दिखाई देगी।” बूढ़े की बात सुनकर सम्राट बड़ा खुश हुआ। उसने बूढ़े को बची हुई फूलदानियों को दिखाते हुए कहा, “ये कुल उन्नीस फूलदानियाँ है। 

टूटी हुई फूलदानी इसी समूह की है। अगर तुमने टूटी हुई फूलदानी जोड़ दी। तो मैं तुम्हें मुँह माँगा इनाम दूँगा।” सम्राट की बात सुनते हुए बूढ़े ने लाठी उठाई और तड़ातड़ सभी फूलदानियाँ तोड़ दी। यह देखकर सम्राट गुस्से से आग बबूला हो गया। उसने चिल्लाकर कहा, “बेवकूफ तूने यह क्या किया। बूढ़े आदमी ने सहजभाव से उत्तर दिया। 

महाराज मैंने अपना कर्त्तव्य निभाया है। इनमें से हर फूलदानी के पीछे एक आदमी की जान जानेवाली थी। मगर आप केवल एक आदमी की जान ले सकते हैं। सिर्फ मेरी! “बूढ़े आदमी की चतुराई और हिम्मत देखकर सम्राट प्रसन्न हो गया। उसने बूढ़े आदमी और अपने सरदार दोनों को माफ कर दिया।

Moral – बुराई से लड़ने के लिए एक ही साहसी व्यक्ति काफी होता है।

भेड़िया और सारस (Short Story in Hindi)

एक लालची भेड़िया था। एक दिन वह खूब जल्दी-जल्दी भोजन कर रहा था। भोजन करते-करते उसके गले में एक हड्डी अटक गई। भेड़िए ने हड्डी बाहर निकालने की बहुत कोशिश की, पर वह हड्डी नही निकाल सका। वह विचार करने लगा, “अगर हड्डी मेरे गले से बाहर न निकली, तो बहुत मुश्किल होगी। मैं खा पी नहीं सकूँगा और भूख प्यास से मर जाऊँगा।” 

नदी के किनारे एक सारस रहता था। भेड़िया भागता-भागता सारस के पास पहुँचा। उसने सारस से कहा, “सारस भाई मेरे गले में एक हड्डी फँस गई है। आपकी गर्दन लंबी है। वह हड्डी तक पहुँच जाएगी। कृपा करके मेरे गले में फँसी हड्डी निकाल दो मैं तुम्हें अच्छा-सा इनाम दूँगा।” सारस ने कहा, ठीक है! मैं अभी तुम्हारे गले की हड्डी निकाल देता हूँ । 

भेड़िये ने अपना जबड़ा फैलाया। सारस ने फौरन अपनी गर्दन भेड़िये के गले में डालकर हड्डी बाहर निकाल दी। अब मेरा ईनाम दो! सारस ने कहा। “इनाम? कैसा इनाम?” भेड़िये ने कहा, इनाम की बात भूल जाओ। भगवान का शुक्रिया अदा करो कि तुमने अपनी गर्दन मेरे गले में डाली और वह सही-सलामत बाहर चली आयी। इससे बड़ा इनाम और क्या होगा। 

Moral – धूर्त की बातों में कभी नहीं आना चाहिए, उन्हें एहसान भुलाते देर नहीं लगती।

लकड़हारा और देवदूत (Hindi Story for Class 3)

एक लकड़हारा था। एक बार वह नदी के किनारे एक पेड़ से लकड़ी काट रहा था। उसके हाथ से कुल्हाड़ी छूटकर नदी में गिर पड़ी। नदी गहरी थी। उसका प्रवाह भी तेज था। लकड़हारे ने नदी से कुल्हाड़ी निकालने की बहुत कोशिश की पर वह उसे नही मिली। इससे लकड़हारा बहुत दुखी हो गया। 

इतने में देवदूत वहाँ से गुजरा लकड़हारे को मुँह लटकाए खड़ा देख कर उसे दया आ गई। वह लकड़हारे के पास आया और बोला चिंता मत करो। मैं नदी से तुम्हारी कुल्हाड़ी अभी निकाल देता हूँ। यह कहकर देवदूत नदी मे कूद पड़ा। देवदूत पानी से निकला तो उसके हाथ मे सोने की कुल्हाड़ी थी। 

वह लकड़हारे को सोने की कुल्हाड़ी देने लगा। तो लकड़हारे ने कहा, “नही नहीं यह कुल्हाड़ी मेरी नही है। मैं इसे नही ले सकता।” देवदूत ने फिर नदी में डुबकी लगाई इसबार वह चाँदी की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आया। ईमानदार लकड़हारे ने कहा, “यह कुल्हाड़ी मेरी नही है।”

देवदूत ने तीसरी बार पानी मे इुबकी लगाई। इस बार वह एक साधारण सी लोहे की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आया। हाँ यह मेरी कुल्हाड़ी है। लकड़हारे ने खुश होकर कहा। उस गरीब की ईमानदारी देखकर देवदूत बहुत प्रसन्न हुआ। उसने लकड़हारे को उसकी लोहे की कुल्हाड़ी दे दी। साथ ही उसने सोने और चाँदी की कुल्हाड़ियाँ भी उसे पुरस्कार के रूप मे दे दीं।

Moral – ईमानदारी से बढ़कर कोई चीज नही।

राजा और गड़रिया (Moral Stories in Hindi for Class 3)

प्राचीन काल में एक राजा था। उसे प्राकृतिक सौंदर्य के चित्र बनाने का बहुत शौक था। एक दिन चित्र बनाने के लिए वह पहाड़ की एक ऊँची चोटी पर गया। वहाँ उसने एक बहुत ही सुंदर चित्र बनाना शुरू किया। चित्र बन जाने पर वह उसके सामने खड़े होकर हर कोण से उसे निहारता और चित्र में जहाँ कोई कमी मालूम होती, उसे ब्रश से सुधार देता। 

अंत दूर से चित्र कैसा दिखता है, यह जानने के लिए वह एक-एक कदम पीछे हटने लगा। पीछे हटते-हटते वह पहाड़ी के कगार तक जा पहुँचा। पास ही एक लड़का अपनी भेड़े चरा रहा था। उसने पीछे हटते हुए राजा को देखा। उसने सोचा कि यदि राजा अब एक कदम भी पीछे हटेगा। तो वह गहरी घाटी में गिर पड़ेगा और मर जाएगा। 

यह सोचकर लड़का भागता हुआ चित्र के पास गया और अपनी लाठी से उसने चित्र को फाड़ डाला। राजा को लड़के की इस शरारत पर बहुत गुस्सा आया। उसने लपककर लडके को दबोच लिया। राजा ने गुस्से से चीखते हुए कहा, “मूर्ख! तूने यह क्या किया? मैं तुझे जिंदा नहीं छोडूँगा।” 

भेड़े चरानेवाले लड़के ने बड़ी नम्रतापूर्वक कहा, “महाराज, जरा पीछे मुड़कर देखिए! नीचे कितनी गहरी घाटी है। यदि मैंने यह चित्र न फाड़ा होता, तो आप इस घाटी में गिर जाते और आपकी जान न बचती।” राजा ने पीछे मुड़कर देखा, तो अवाक रह गया। उसने अपनी जान बचाने के लिए लड़के को धन्यवाद दिया। 

राजा ने लड़क से कहा, “सचमुच, यदि तुमने चतुराई से काम न लिया होता, तो मेरे प्राण नहीं बचते।” फिर राजा लड़के को अपने साथ राजमहल ले गया। उसने लड़के को ढेर सारे पुरस्कार दिए। राजा ने अपनी देखरेख में उसकी परवरिश की और बड़े होने पर उसे अपना प्रथानमंत्री बनाया।

Moral – अच्छाई का फल अच्छा ही होता है।

बिल्ली और लोमड़ी (Moral Stories in Hindi for Class 3)

एक बार एक बिल्ली और एक लोमड़ी शिकारी कुत्तों के बारे में चर्चा कर रही थी। मुझे तो इन शिकारी कुत्तों से नफरत हो गयी है। लोमड़ी ने कहा। मुझे भी, बिल्ली बोली। मानती हूँ कि ये बहुत तेज दौड़ते है, लोमड़ी ने कहा, पर मुझे पकड़ पाना इनके बस की बात नहीं। मैं इन कुत्तों से बचकर दूर निकल जाने के कई तरीके जानती हूँ। 

कौन-कौन से तरीके जानती हो तुम? बिल्ली ने पूछा। कई तरीके हैं, शेखी बघारते हुए लोमड़ी ने कहा, कभी मैं काँटेदार झाड़ियों में से होकर दौड़ती हूँ। कभी घनी झाड़ियों  में छिप जाती हूँ। कभी किसी माँद में घुस जाती हूँ। इन कुत्तों से बचनें के अनेक तरीकों में से ये तो कुछ ही हैं। 

मेरे पास तो सिर्फ एक ही अच्छा तरीका हैं, बिल्ली ने कहा। ओह! बहुत दुख की बात है। केवल एक ही तरीका? खैर, मुझे भी तो बताओ वह तरीका? लोमड़ी ने कहा। बताना क्या है, अब मैं उस तरीके पर अमल करने जा रही हूँ। उधर देखो, शिकारी कुत्ते दौड़ते हुए आ रहे हैं। यह कहते हुए बिल्ली कूदकर एक पेड़ पर चढ़ गई। 

अब कुत्ते उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते थे। शिकारी कुत्तों ने लोमड़ी का पीछा करना शुरु कर दिया। वह कुत्तों से बचने के लिए एक-एक कर कई तरीके आजमाती रही। फिर भी वह उनसे बच नहीं सकी। अंत में शिकारी कुत्तों ने उसे धर दबोचा और मार डाला। बिल्ली लोमड़ी पर तरस खाती हुई मन ही मन बोली, ओह बेचारी लोमड़ी मारी गई। इसकी अनेक तरकीबों की अपेक्षा, मेरी एक ही तरकीब कितनी अच्छी रही। 

Moral – अनेक तरकीब आजमाने की बजाए एक ही सधी हुई तरकीब पर भरोसा करना चाहिए।

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