वट पूर्णिमा पूजा विधि (Vat Purnima Puja Vidhi)

भारत देश में अलग-अलग तरह के पूजा-पाठ हिंदू धर्म के द्वारा किया जाता है। उनमें से एक प्रचलित पूजा वट पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है 14 मई 2022 आज का दिन वट पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है आज के दिन और पीपल के पेड़ पर धागा बांधती है भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करके अपने पति के लंबी उम्र की कामना करती है आज के लेख में हम आपको Vat Purnima Puja Vidhi के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देने का प्रयास कर रहे हैं अगर इस पूजा को करने की विधि आप जानना चाहते हैं तो नीचे बताए गए निर्देशों का आदेश अनुसार पालन करें।

प्रत्येक साल जेठ माह के शुक्ल पक्ष में वट पूर्णिमा मनाया जाता है। यह एक ऐसा त्यौहार है जो भारत के अलग-अलग क्षेत्र में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है पिछले महीने जो वट सावित्री की पूजा भारत के उत्तरी राज्य में हुई थी उसी प्रक्रिया से वट पूर्णिमा की पूजा भारत के दक्षिण राज्य में होती है। वटपौर्णिमा पूजा विधि के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी नीचे दी गई है।

वट पूर्णिमा पूजा विधि – Vat Purnima Puja Vidhi

इस त्यौहार को प्रत्येक साल जेठ माह के शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। वट का अर्थ पीपल पेड़ से होता है जिसमें धागा बांधकर औरत अपने पति के लंबी उम्र की कामना करती है। पिछले महीने 30 मई को अमावस्या के दिन वट सावित्री नाम का एक पूजा भारत के उत्तरी राज्य यूपी एमपी झारखंड बिहार में मनाया गया था उसी विधि से 14 जून को पूर्णिमा के दिन वट पूर्णिमा का पूजा भारत के दक्षिणी राज्य जैसे महाराष्ट्र गुजरात में मनाया जाएगा।

हिंदू धर्म में मान्यता कथाओं के अनुसार सावित्री ने अपने पति के प्राण की रक्षा यमराज से की थी उसने अपने पति के प्राण को यमराज से मांग कर वापस लाया था साथ ही भगवान से उसने संतान प्राप्ति और समृद्ध राज काज का वरदान भी पाया था। जिस दिन को वट सावित्री या वट पूर्णिमा पूजा के नाम से जाना जाता है। भारत के कुछ क्षेत्र में जेठ माह के शुक्ल पक्ष में लगने वाले अमावस के दिन वट सावित्री की पूजा होती है तो कहीं दूसरे राज्यों में जेठ माह के शुक्ल पक्ष में लगने वाले पूर्णिमा के दिन वट पूर्णिमा पूजा होता है।

14 जून 2022 को वट पूर्णिमा पूजा है जिसका महत्व है कि आप इस पूजा को अपने पति के लंबी उम्र के लिए करते हैं और संतान प्राप्ति गोवर्धन भगवान से मांगते हैं।

वट पूर्णिमा पूजा का मुहूर्त

आज वट पूर्णिमा के दिन आप यह पूजा कैसे कर सकते हैं और कब आपको करना चाहिए इसे नीचे बताया जा रहा है अगर आप इस पूजा को करने का सही मुहूर्त नहीं जानते तो नीचे बताई गई जानकारी को ध्यानपूर्वक पढ़ें – 

वट पूर्णिमा पूजा की तिथि 13 जून 2022 को दोपहर 1:42 से शुरू होती है और 14 जून 2022 को सुबह 9:40 तक चलती है। अगर आपको बट पूर्णिमा का पूजा करना चाहते हैं तो आपको इस समय अवधि के बीच में अपने पूजा को संपन्न करना है यही सही मुहूर्त बताया गया है।

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व्हाट पूजा पूर्णिमा में लगने वाले सामान

आपको इस पूजा में किस तरह के सामान की आवश्यकता होगी इसे नीचे सूचीबद्ध तरीके से बताया गया है उन सभी सामग्री को ध्यानपूर्वक खरीदकर एकत्रित करें और उसके बाद नीचे बताए गए विधि से पूजा आरंभ करे – 

  • बांस की लकड़ी से बना हुआ एक पंखा भेंट में चढ़ाने के लिए।
  • 5 तरह के फल
  • बरगद का पेड़ और इस पेड़ में बांधने के लिए कुछ धागे।
  • एक लाल रंग का कपड़ा जिसे देवी को चढ़ाया जाएगा।
  • सिंदूर और औरत के द्वारा किए जाने वाले सोलह सिंगार की सामग्री।

वट पूर्णिमा पूजा की विधि

इस पूजा को आप किस प्रकार कर सकते हैं इसे नीचे सरल शब्दों में समझाया गया है उस विधि के अनुसार अपनी सामग्री को लेकर पूजा में बैठे हैं और बताए गए तरीके से पूजा को संपन्न करें – 

  1. बांस का पंखा या टोकरी में 7 तरह के अनाज रखे जाते हैं और 5 तरह के फल रखे जाते हैं उसके बाद उसे लाल रंग के कपड़े से ढक दिया जाता है और इसे भेंट के रूप में देवी सावित्री को चढ़ाया जाता है।
  2. उसके बाद देवी सावित्री को धूप, अछत और अगरबत्ती से पूजा करने के बाद पीपल के पेड़ पर सुत का धागा 7 बार चक्कर काटते हुए बांधना है।
  3. इसके बाद चना और गुड़ का प्रसाद बांटना है जिसके बाद औरत हैं सावित्री की कथा सुनती हैं।

निष्कर्ष

ऊपर बताई गई सभी जानकारियों को पढ़ने के बाद अगर आप समझ गए कि वट सावित्री की पूजा क्यों करते हैं कैसे करते हैं और इस पूजा में आपको किस प्रकार की सामग्री की आवश्यकता होगी साथी हमारे द्वारा बताई गई जानकारी को पढ़ने के बाद Vat Purnima Puja Vidhi को समझने में आसानी हुई है, तो इसे अपने मित्र के साथ साझा करें साथ ही अपने सुझावों विचार या किसी भी प्रकार के प्रश्नों को कमेंट में पूछना ना भूले।