क्या आप जानना चाहते हैं कि डायोड क्या होते हैं (what is diode in hindi)। अगर नहीं जानते हैं तो आज फिर आपको हम इस लेख में बताने जा रहे हैं आप कभी किसी इलेक्ट्रॉनिक की दुकान पर गए हैं वहां अपने छोटे से सेमीकंडक्टर डिवाइस को जरूर देखा होगा लेकिन शायद जानकारी के अभाव में उसको पहचान नहीं पाए होंगे इसलिए हम आपको उसके बारे में पूरी जानकारी प्रदान करने वाले हैं।
वैसे आपकी जानकारी के लिए बता देना चाहते हैं कि यह डायोड बहुत ही simplest two terminal unilateral सेमीकंडक्टर डिवाइस की तरह होते हैं। यह डायोड इलेक्ट्रिकल सर्किट के वन वे साइन के होते हैं। इसमें करंट को केवल एक ही डायरेक्शन में फ्लो होने के लिए अलाउड किया जाता है। सभी डायोड का एक पोजीशन एंड होता है। जिसको एनोड कहते हैं। और यह नेगेटिव एंड भी होता है जिसको कैथोड कहते हैं।
करंट हमेशा एनोड से कैथोड की तरफ फ्लो करता है।यह कभी उल्टा फ्लो नहीं करता है। इन डायोड के बहुत सारी उपयोग बताएं होती है इनके विषय में आज इस आर्टिकल में आपको बताने जा रहे हैं आइए जानते हैं डायोड क्या होते हैं इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में इनका क्या योगदान है।डायोड कितने प्रकार के होते हैं, डायोड से जुड़ी हुई सभी जानकारी इस लेख में आपको देने जा रहे हैं आप हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े ताकि आपको सभी इंफॉर्मेशन मिल जाए।
Table of Contents
डायोड क्या है?
डायोड एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेन्ट होता है जो करंट को सिर्फ एक ही दिशा में flow करने की परमिशन प्रदान करता है। इसकी वजह से इसमें पार होकर आगे फ्लो होने वाले करंट अक्सर डीसी हो जाते है। डायोड में दो तरह के इलेक्ट्रॉनिक एनोड कैथोड होते हैं डायोड में जो सिल्वर कलर की लाइन होती है उस तरफ तो कैथोड इलेक्ट्रॉनिक होता है और डायोड के सिंगल में जो ट्रायंगल की नोक है उसकी दूसरी तरफ एनोड होता है।
एक सिंगल डायोड के आदेश में पॉजिटिव टाइप के चार्जर कैरियर पार्टिकल लगे होते हैं और आधे हिस्से में नेगेटिव टाइप चार्जर कैरियर पार्टिकल लगे होते हैं। इन दोनों के कंबीनेशन के बीच में से एक पोटेंशियल बैरियर उत्पन्न हो जाता है। इसको depletion region कहते हैं और इसी रीजन की कंडीशन पर निर्भर करता है कि इससे होकर करंट फ्लो करेगा या नहीं करेगा। एक सिंगल पी एन जंक्शन डायोड में दो तरह के टर्मिनल होते हैं जिनकी पॉजिटिव साइड के हिस्से में एनोड और नेगेटिव साइड के शो में कैथोड होता है।
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डायोड के प्रकार
1.zener diode
इस डायोड का आविष्कार 1934 में clarence जेनर के द्वारा हुई थी यह एक नॉर्मल डायोड की तरह करंट को एक नई दिशा में जाने देता है लेकिन जब वोल्टेज ब्रेकडाउन वोल्टेज से ज्यादा होता है तो यह करंट को उल्टी दिशा में कर देता है। इसका आविष्कार एकदम से आने वाली वोल्टेज से बचने के लिए ही किया गया यह डायोड एक वोल्टेज रेगुलेटर की तरह भी कार्य करता है।
2. Constant current diodes
यह डायोड मुख्य रूप से वोल्टेज को विशेष करंट पर नियमित रखता है इस करंट को लिमिटेड डायोड या डायोड कनेक्ट ट्रांजिस्टर कहते हैं।
3.shockley diode
यह पहला pnpn नियर वाला सेमीकंडक्टर डायोड है। इसका आविष्कार 1950 के दशक में हुआ था विलियम शॉकले के द्वारा इसका आविष्कार किया गया था इस डायोड को उन्हीं के नाम से बनाया गया है।
4.light emitting diode
यह डायोड इलेक्ट्रॉनिक एनर्जी को लाइट एनर्जी में बदल देता है इससे प्रकाश उत्सर्जन डायोड भी बोलते हैं। इसका आविष्कार सन 1968 में क्या गया था। मुख्य रूप से यह डायोड फारवर्ड बॉयोस की स्थिति पर काम करता है। पहले इस डायोड का इस्तेमाल इंडक्ट लैब में किया जाता था। लेकिन अब इसका इस्तेमाल बड़े स्तर पर किया जाता है। अब इस डायोड को ट्रैफिक सिग्नल के कैमरा में भी यूज करते हैं।
5. Schottky diode
यह डायोड सेमीकंडक्टर मैटेरियल और धातु के जंक्शन के द्वारा बनाई जाती है इसमें वोल्टेज कम ड्रॉप की जाती है इसमें धातु होने की वजह से डायोड बहुत अधिक मात्रा में करंट को ब्लॉक करने की क्षमता रखता है इस डायोड का नाम जर्मनी के physicist walter H. schottky के नाम पर है।
6.tunnel diode
बहुत तेजी से स्विच करने के लिए tunnel डायोड का उपयोग में लिया जाता है जिस जगह काम नैनो सेकंड में करवाना होता है उस जगह पर इसका उपयोग किया जाता है इसका आविष्कार 1957 लियो esaki के द्वारा किया गया था इसीलिए इसको esaki diode कहते हैं।
7 varactor diode
यह वेरिएबल कैपेसिटर की तरह कार्य करता है इसको बहुत से उपकरणों के लिए भी उपयोग में लिया जाता है जैसे सेल,फोन, और सेटेलाइट, प्री – फिल्टर इत्यादि।
8.laser डायोड
डायोड को एलडी या इंजेक्शन लेजर डायोड के नाम से भी जानते हैं यह लाइट emitting डायोड की तरह काम करता है लेकिन यह लाइट की जगह एक लेजर बीम भी बनाता है इसका उपयोग आज के समय में फाइबर ऑप्टिक बारकोड रीडर लेजर पॉइंट्स,cD/DVD इत्यादि।
डायोड का उपयोग
मुख्य रूप से अगर देखा जाए तो डायोड का उपयोग लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के सर्किट में किया जाता है यह इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के ऐसे स्थान पर प्रयोग में होता है जहां पर एसी और डीसी को बदलने की जरूरत होती है, सर्किट प्रोटेक्शन की जरूरत होती हो, ऑटो स्विच की तरह कार्य करवाना हो, आदि इस तरह के कार्यों में डायोड का उपयोग किया जाता है।
Conclusion
आज इस लेख के माध्यम से आप सभी को डायोड कितने प्रकार के होते हैं इसके बारे में जो भी इंफॉर्मेशन आज इस लेख में बताइए वह आपको जरूर पसंद आई होगी। अगर आप इसी तरह की इंफॉर्मेशन से जुड़े रहना चाहते हैं तो हमारी पोस्ट को अधिक से अधिक लाइक शेयर कीजिए और हमारी वेबसाइट पर कंटिन्यू बने रहिए और इससे संबंधित किसी भी सुझाव या जानकारी के लिए आप हमारे कमेंट सेक्शन में जाकर कमेंट करके पूछ सकते हैं।