भगवान से जुड़ने का सबसे सरल और प्रभावी तरीका भक्ति के साथ-साथ श्लोक स्त्रोत मंत्र और पुराणों का पाठ करना होता है हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी देवताओं की पूजा की जाती है इनमें से मुख्य रूप से ब्रह्मा विष्णु महेश सबसे महत्वपूर्ण देवता है। ब्रह्मा जी के द्वारा सृष्टि का निर्माण किया गया। भगवान विष्णु के द्वारा पूरी सृष्टि का संचालन अर्थात सृष्टि के कर्ताधर्ता और इसीलिए भगवान विष्णु का आज सभी पूजा पाठ में विशेष महत्व माना जाता है। भगवान विष्णु को जगत का पालन करता भी माना जाता है।
संपूर्ण ब्रह्मांड में ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों देवता हे संपूर्ण सृष्टि के पालन का दायित्व मुख्य रूप से भगवान विष्णु पर है इसलिए सभी मनुष्यों की इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान विष्णु की आराधना पूजा पाठ का बहुत विशेष महत्व माना जाता है। कहते है कि भगवान विष्णु की आराधना करने से हर व्यक्ति को यश कीर्ति और लक्ष्मी की भी प्राप्ति होती है। अगर व्यक्ति अपने परिवार की शांति और अपने कुटुंब के पालन पोषण का कार्य सही ढंग से चाहता है तो भगवान का नाम और उसकी आराधना बहुत जरूरी है।
विष्णु सहस्त्रनाम हिंदू धर्म का एक प्रमुख ग्रंथ है विष्णु सहस्त्रनाम में भगवान विष्णु के 1000 नामों का वर्णन किया गया है विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के दोष और पाप से मुक्ति मिलती है इसीलिए हिंदू धर्म में विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ का बहुत विशेष महत्व है आइए आज हम आपको बताते हैं विष्णु सहस्रनाम की उत्पत्ति विष्णु सहस्रनाम की सही ढंग से पूजा करने की विधि विष्णु सहस्त्रनाम से जुड़ी हुई सभी महत्वपूर्ण जानकारी इस पोस्ट में देने जा रहे हैं..
विष्णु सहस्त्रनाम की उत्पत्ति
विष्णु सहस्त्रनाम संस्कृत भाषा में लिखी हुई एक प्राचीन लिपि मानी जाती है विष्णु का अर्थ भगवान विष्णु से है और सहस्त्र मतलब उनके 1000 नाम है। विष्णु सहस्त्रनाम संस्कृत के महान विद्वान ऋषि व्यास के द्वारा लिखी गई एक कृति है। महर्षि व्यास बड़े-बड़े महाकाव्य के लेखक माने जाते हैं। उन्होंने अध्यात्म रामायण, महाभारत, श्रीमद भगवत गीता पुराण और अन्य कई प्रकार के स्त्रोतों को लिखा है। महाकाव्य महाभारत के एक भाग के रूप में विष्णु सहस्त्रनाम मुख्य है।
भीष्म पितामह के द्वारा बताई गई विष्णु सहस्त्र नाम की महिमा
विष्णु सहस्रनाम के पीछे एक कथा भी है जो कि पांडवों से जुड़ी हुई है। जो निम्न है..
एक बार पांडव में सबसे बड़े युधिष्ठिर अपने जीवन में पालन करने वाले सबसे बड़े धर्म के बारे में जानने के लिए भ्रमित हो रहे थे। इसके लिए उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से संपर्क किया औऱ कृष्ण भगवान युधिष्ठिर को युद्ध के मैदान में मृत्यु शैया पर लेटे हुए भीष्म पितामह के पास ले जब लेकर गए तो अर्जुन के बाणों से घायल भीष्म पितामह भगवान कृष्ण की सलाह पर युधिष्ठिर अपने 6 सवालों का जवाब भीष्म पितामह से मांगा।
तब भीष्म पितामह ने उन सभी सवालों का उत्तर देते हुए कहा कि “युधिष्ठिर के जीवन को जिसने दान दिया है। उसके समक्ष सब कुछ समर्पण कर देना चाहिए ओर उस ईश्वर के 1000 नाम अगर व्यक्ति सच्चे मन से लेगा तो वह संपूर्ण पापों से मुक्त हो जाएगा। भगवान विष्णु के 1000 नामों का वर्णन भी किया था।” कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में ऋषि व्यास और कृष्ण इस महत्वपूर्ण क्षण के साक्षी रहे थे। इसीलिए महाभारत के इस महत्वपूर्ण हिस्से को विष्णु सहस्त्रनाम का नाम दिया गया।
विष्णु सहस्त्रनाम का महत्व
भगवान विष्णु आज हर मानव मात्र के जीवन के रक्षक हैं। भगवान विष्णु इस सृष्टि पर संपूर्ण जीव मात्र की रक्षा करते हैं इस पृथ्वी पर पशु पक्षी जानवर मनुष्य अलग-अलग रूप में अपना जीवन निर्वाह करते हैं। भगवान विष्णु को प्रार्थना करने वाले बहुत सारे पवित्र इस लोक होते हैं। लेकिन उन सभी में मुख्य विष्णु सहस्त्रनाम ने माना जाता है, क्योंकि इसमें भगवान विष्णु के 1000 नामों को शामिल किया गया है। भारतीय महाकाव्य महाभारत विष्णु सहस्त्रनाम के रूप में 149 अध्याय 14 से 20 लोग शामिल हैं। विष्णु सहस्त्रनाम हिंदू पौराणिक कथाओं की गहराइयों से समाहित किया गया है।
जब आप सभी प्रकार के उपायों से विफल हो जाते हो उस स्थिति में अगर आपका झुकाव भगवान की तरफ होता है, तो आपको जीवन की हर खुशी मिलती है। इसीलिए सभी मनुष्यों को भाव भक्ति के साथ निष्ठा पूर्वक विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करना चाहिए। क्योंकि इससे भगवान आपको सही गलत की रहा आसानी से दिखा देता है। इसके अलावा विष्णु सहस्रनाम का पाठ रोजाना करना और सुनना इससे मानसिक शांति और मन की स्थिरता को सही बनाया जाता है। Also Read: Durga chalisa ki sahi vidhi or mahtav दुर्गा चालीसा की सही विधि और महत्व
विष्णु सहस्त्रनाम के केवल इस मंत्र से मिलेगा लाभ
आज की इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में समय का अभाव अक्सर सभी के पास होता है ऐसे में अगर आप नियमित रूप से विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ नहीं कर सकते तो आप इस मंत्र का जाप अगर करेंगे तो इसका पूरा फल विष्णु सहस्त्रनाम के पढ़ने के समान ही मिलता है
नमो स्तवन अनन्ताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपदाक्षि शिरोरु बाहवे।
सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटी युग धारिणे नमः।।
इस श्लोक का निरंतर जाप करने से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की कठिनाइयों से पूरी तरह छुटकारा मिल जाता है।
निष्कर्ष
आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से विष्णु सहस्त्रनाम की उत्पत्ति और उसका महत्व उसके बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको जो भी हमने जानकारी दी है वह पसंद आई होगी। इसी तरह की जानकारियों से अगर आप जुड़े रहना चाहते हैं तो कंटिन्यू हमारी वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं। इसके अलावा यह पोस्ट अगर आपको पसंद आए तो कमेंट करके जरूर बताएं।